नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने प्रगति मैदान में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस (Indian Cooperative Congress) में कहा कि केंद्र सरकार साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है. जिसका मतलब है कि हर किसान तक सरकार सालाना औसतन 50 हजार रुपये किसी न किसी रूप में पहुंचा रही है. ये मोदी की गारंटी है. यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस (International Day of Cooperatives) के मौके पर आयोजित किया गया. प्रधानमंत्री मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण में दृढ़ विश्वास से प्रेरित होकर, केंद्र सरकार देश में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है. इस प्रयास को मजबूती देने के लिए सरकार द्वारा एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के मोटे अनाज यानि मिलेट्स की पहचान दुनिया में श्री अन्न के नाम से बन गई है. इसके लिए विश्व में एक नया बाजार तैयार हो रहा है. भारत सरकार की पहल के कारण इस वर्ष को International Milets Year के रूप में मनाया जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि आज कैमिकल मुक्त खेती, नैचुरल फार्मिंग, सरकार की प्राथमिकता है. ज्यादा पानी, ज्यादा फसल की गारंटी नहीं है. Micro-irrigation का कैसे गांव-गांव तक विस्तार हो, इसके लिए सहकारी समितियों को अपनी भूमिका का भी विस्तार करना होगा.
डिजिटल लेनदेन सहकारी अपनाए सहकारी क्षेत्र
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत की दुनिया में पहचान अपने डिजिटल लेनदेन के लिए होती है. ऐसे में सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों को भी इसमें अग्रणी रहना होगा. पीएम मोदी ने कहा कि हिसाब लगाएं तो आज हर वर्ष केंद्र सरकार साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है. इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष हर किसान तक सरकार औसतन 50 हजार रुपये किसी न किसी रूप में पहुंचा रही है. यानि भाजपा सरकार में किसानों को अलग अलग तरह से हर साल 50 हजार रुपये मिलने की गारंटी है. ये मोदी की गारंटी है. यही नहीं, गन्ना किसानों के लिए भी उचित और लाभकारी मूल्य अब रिकॉर्ड 315 रुपये क्विंटल कर दिया गया है.
को-ऑपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी
पीएम मोदी ने कहा कि किसान हितैषी अप्रोच को जारी रखते हुए, कुछ दिन पहले एक और बड़ा निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है. अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के को-ऑपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है. सरकार और सहकार मिलकर विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को डबल मजबूती देंगे. पीएम मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में हमने किसान उत्पादक संघों यानि FPOs के निर्माण पर भी विशेष बल दिया है.
मिशन पाम ऑयल शुरू
पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने मिशन पाम ऑयल शुरू किया है. इसके तहत तिलहन की फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे देश में खाने के तेल के आयात पर खर्च होने वाली बड़ी रकम किसानों के पास पहुंच सके. तिलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी मात्रा में फैसले लिए जा रहे हैं. देश की सहकारिता संस्थाएं इस मिशन की बागडोर थाम लेगी तो आप देखिएगा कितनी जल्दी हम खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएंगे.
पीएम मोदी की गारंटी
पीएम मोदी ने कहा कि आखिरकार गारंटी क्या होती है, किसान के जीवन को बदलने के लिए कितना महा भगीरथ प्रयास जरूरी है, इसके इसमें दर्शन होते हैं. कुल मिलाकर अगर देखें तो सिर्फ फर्टिलाइजर सब्सिडी पर भाजपा सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये हैं. पिछले 9 वर्षों में किसानों की उपज को एमएसपी पर खरीदकर 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए हैं. दूसरे शब्दों में, सरकार कृषि और किसानों पर हर साल लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
महंगी खादों के बोझ से किसानों को बचाया
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में निरंतर महंगी होती खादों और केमिकल का बोझ किसानों पर न पड़े, इसकी भी गारंटी केंद्र की भाजपा सरकार ने आपको दी है. पीएम मोदी ने कहा कि आज किसान को एक यूरिया बैग के लिए करीब 270 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. इसी एक बैग की कीमत बांग्लादेश में 720 रुपये, पाकिस्तान में 800 रुपये और चीन में 2100 रुपये है… पिछले 9 वर्षों में, भाजपा सरकार द्वारा उर्वरक सब्सिडी पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं. यही सबसे बड़ी गारंटी है.
सहकारिता को दी बड़ी ताकत
पीएम मोदी ने कहा कि जब विकसित भारत के लिए बड़े लक्ष्यों की बात आई, तो हमने सहकारिता को एक बड़ी ताकत देने का फैसला किया. हमनें पहली बार सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय बनाया, अलग बजट का प्रावधान किया. आज को-ऑपरेटिव को वैसी ही सुविधाएं, वैसे ही प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जैसे कार्पोरेट सेक्टर को मिलते हैं. सहकारिता क्षेत्र से जुड़े जो मुद्दे वर्षों से लंबित थे, उन्हें तेज गति से सुलझाया जा रहा है. हमारी सरकार ने सहकारी बैंकों को भी मजबूती दी है. सहकारी समितियों की ताकत बढ़ाने के लिए उनके लिए टैक्स की दरों को भी कम किया गया है.
छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिली
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले अक्सर किसान कहते थे कि उन्हें सरकार की मदद बहुत कम मिलती है और जो थोड़ी बहुत मिलती भी थी वो बिचौलियों के खातों में जाती थी. सरकारी योजनाओं के लाभ से देश के छोटे और मध्यम किसान वंचित ही रहते थे. करोड़ों छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिल रही है. कोई बिचौलिया नहीं, कोई फर्ज़ी लाभार्थी नहीं. किसान हितैषी अप्रोच को जारी रखते हुए, कुछ दिन पहले एक और बड़ा निर्णय लिया गया है. अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के को-ऑपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है.
2014 के पहले 5 साल का कृषि बजट 90 हजार करोड़ से भी कम
पीएम मोदी ने कहा कि देश इस समय विकसित और आत्मनिर्भर भारत के अभियान की दिशा में आगे बढ़ रहा है. सहकारिता भी सबका साथ, सबका विकास की भावना का एक जीता-जागता सबूत है. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 4 साल में 2.5 लाख करोड़ रुपये किसानों के खाते में भेजे गए. जबकि 2014 के पहले 5 साल के कृषि बजट 90 हजार करोड़ रुपये से भी कम था. यानि तब पूरे देश की कृषि व्यवस्था पर जितना खर्च तब हुआ, उसका लगभग 3 गुना हम केवल किसान सम्मान निधि पर खर्च कर चुके हैं. अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के कॉपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है.
अमित शाह बोले- सहकारिता में होंगे बड़े बदलाव
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘स्वतंत्र मंत्रालय बनने से प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन से और एक स्वतंत्र मंत्री और सचिव सहित स्वायत्त मंत्रालय बनने से सहकारिता मंत्रालय और सहकारी के क्षेत्र में ढेर सारे परिवर्तन संभव हुए हैं और आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे. मैं सहकारिता के साथियों से कहना चाहता हूं कि इस आंदोलन ने देश को अब तक बहुत कुछ दिया है. इस सदी में हमने ढेर सारी उपलब्धियां हासिल की हैं. ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29 फीसदी हिस्सा सहकारी आंदोलन का है. उर्वरक वितरण में 35 फीसदी, उर्वरक उत्पादन में 25 फीसदी, चीनी उत्पादन में 35 फीसदी से अधिक, दूध की खरीद, बिक्री और उत्पादन में सहकारिता का हिस्सा 15 फीसदी को छू रहा है.’
15 हजार करोड़ का टैक्स विवाद सुलझाया
अमित शाह ने कहा कि कंपनियों के साथ सहकारी संगठनों की तुलना नहीं की जाती थी. इससे टैक्स को लेकर विवाद बढ़ गया. पीएम मोदी ने वित्त मंत्रालय को इस समस्या को सुलझाने का निर्देश दिया. एक ही झटके में 15 हजार करोड़ रुपये के टैक्स विवाद सुलझा लिए गए. आगे से ऐसी कोई समस्या नहीं आए, इसके नियम बनाए गए. अमित शाह ने कहा कि कंपनियों के साथ सहकारी संगठनों की तुलना नहीं की जाती थी. इससे टैक्स को लेकर विवाद बढ़ गया. पीएम मोदी ने वित्त मंत्रालय को इस समस्या को सुलझाने का निर्देश दिया. एक ही झटके में 15 हजार करोड़ रुपये के टैक्स विवाद सुलझा लिए गए. आगे से ऐसी कोई समस्या नहीं आए, इसके नियम बनाए गए.
सहकारिता आंदोलन लगभग 115 साल पुराना
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन हमारे देश में लगभग 115 वर्ष पुराना है. आजादी के बाद से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय को अलग बनाया जाए. अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने की मांग 75 साल से चल रही थी. जब पीएम मोदी दूसरी बार पीएम बने तो एक स्वायत्त सहकारिता मंत्रालय बनाया गया. अमित शाह ने कहा कि पिछले 75 साल में बिना सहकारिता मंत्रालय के कोऑपरेटिव के काम को आगे बढ़ाने में कठिनाई आती थी. पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाकर इसे मजबूती देने का काम काम किया.