Ganesh Pratima: घर में वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से हमेशा बरकत बने रहती है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश को ऋद्धि और सिद्धि का दाता माना गया है. इनकी पूजा करने से ये भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं, इसलिए इनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. वास्तु शास्त्र में घर के मुख्य दरवाजे का काफी महत्व होता हैं, क्योंकि यहीं से निगेविट और पॉजिटिव एनर्जी घर में प्रवेश करती है. ऐसे में घर के मुख्य दरवाजे पर भगवान गणेश की मूर्ति रखना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा करने से सफलता के द्वार खुलने लगते हैं और तरक्की होने लगती है. हालांकि, वास्तु के अनुसार गणपति बप्पा की मूर्ति रखने से पहले कुछ नियमों का जान लेना जरूरी है.
दिशा
घर का मुख्य दरवाजा पूर्व या पश्चिम दिशा में हो तो ऐसे दरवाजे पर गणेश प्रतिमा लगाना शुभ नहीं माना जाता है. दरवाजे का मुंह उत्तर या दक्षिण दिशा में हो तो तब ही गणेश जी की मूर्ति दरवाजे पर लगानी चाहिए. मुख्य दरवाजे के अंदर की ओर गणेश जी को स्थापित करना चाहिए, ताकि प्रतिमा का मुंह अंदर की तरफ हो. इसके लिए उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर दिशा ज्यादा शुभ मानी जाती है.
रंग
गणेश जी की मूर्तियां अलग-अलग रंगों में मिलती हैं. घर में तरक्की के लिए सिंदूरी रंग की मूर्ति लगाना चाहिए. वहीं, तरक्की के लिए सफेद रंग की मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है. दरवाजे के बाहर लगाने वाली गणेश मूर्ति की सूंड़ बांयी तरफ मुड़ी हुई होनी चाहिए. दांयी तरफ मुड़ने वाली सूंड़ घर के अंदर तो शुभ होती है. हालांकि, दरवाजे के बाहर इस तरह की प्रतिमा लगाना अच्छी नहीं मानी जाती है.
मुद्रा
घर के लिए गणेश जी की मूर्ति लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह बैठी हुई मुद्रा में हो. खड़ी हुई मुद्रा में गणेश जी की प्रतिमा घर के दरवाजे के बाहर नहीं लगानी चाहिए. ऑफिस या कार्यस्थल के लिए खड़ी हुई मुद्रा में प्रतिमा ले सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले सलाह जरूर लें. dainikpahuna.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.)