रायपुर. प्रदेश में संविदा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद हैं. वहीं सरकार ने संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लगाया है और काम पर नहीं लौटने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए सभी कलेक्टरों को आदेश जारी किया है. अपर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने यह आदेश जारी किया है.
बता दें कि संविदा कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने के लिए एस्मा लगाया गया है. इसके बाद भी कर्मचारी आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं. वहीं इस आदेश के खिलाफ संविदा कर्मचारियों ने आज जल सत्याग्रह कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
एस्मा के विरोध में कर्मचारियों ने किया जल सत्याग्रह
कर्मचारियों पर एस्मा का कोई असर नहीं हुआ. आज हजारों की तादाद में संविदा कर्मचारी धरना स्थल पहुंचे. एस्मा के विरोध में सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ की ओर से तूता में जल सत्याग्रह किया जा रहा. शासन की नीति के विरोध में सभी संविदा कर्मचारी जल में उतरे हैं.
यह कैसी विडम्बना है जो सरकारें आंदोलन का सहारा लेकर आती हैं, सत्ता में आने के बाद वहीं दमनकारी नीतियों से जायज मांगों के आंदोलन को तोड़ने तमाम हथकंडे अपनाती है. नियमितिकरण का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार इस हक की लड़ाई को तोड़ने आखिर इतना बेचैन क्यूं हो रही है. यह सवाल एस्मा के विरोध में जल सत्याग्रह कर रहे संविदा कर्मचारियों ने उठाया है. सरकार के स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर एस्मा कानून लगाने के बाद हजारों की संख्या में कर्मचारी तूता धरना स्थल पहुंचकर अपना विरोध दर्ज किए. सूत्रों की माने तो किसी भी जिले में कोई भी स्वास्थ्य कर्मचारी कार्यालय में उपस्थिति नहीं दिए.
महासघ के प्रांत अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि सरकार के पौने पांच साल बीत जाने के बाद भी नियमितिकरण के संबंध में निर्णय नहीं लिया गया है. जब कर्मचारी सरकार के वादे पूरा करने के अपील के साथ हड़ताल में उतरे तो दमनकारी नीतियों से हड़ताल तोड़ने के हथकंडे अपना रही है. लोकतंत्र में यह चिंता का विषय है. कार्यकारी अध्यक्ष अशोक कुर्रे ने बताया कि सरकार की इस दमनकारी नीति का हम विरोध करते हैं. अपने ही कर्मचारियों के प्रति यह दुर्भावना सहन नहीं करेंगे. कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि आंदोलनरत कर्मचारी इस बार बिना ठोस निर्णय के जाने वाले नहीं हैं.