भारत के एक फैसले ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तहलका मचा दिया है. दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) शुरू होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के भाव (wheat price) में तेजी आई है. दूसरी तरफ भारत ने मई में दियाही गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत में और ज्यादा उछल आ गया है.
रिकॉर्ड हाई की तरफ बढ़ रही गेहूं की कीमत
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतेंनए रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रही है. फिलहाल इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की कीमत 2008 के अपने रिकॉर्ड हाई से 11% नीचे है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्यान्न की कीमतों में 2.1 फीसदी की गिरावट जरूर आई है, लेकिन फिर भी यह एक साल पहले की तुलना में 18.1 फीसदी ज्यादा है.
FAO ने दी जानकारी
संयुक्त राष्ट्र की फूड एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, ‘गेहूं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार चौथे महीने बढ़ी हैं, जो बीते साल की अपनी वैल्यू से औसतन 56.2 फीसदी ज्यादा है. एफएओ अनाज मूल्य सूचकांक (FAO Cereal Price Index) मई में 173.4 प्वाइंट था, यानी अप्रैल से 3.7 प्वाइंट या 2.2 फीसदी अधिक, जबकि मई 2021 से तुलना करें तो यह 39.7 प्वाइंट या 29.7 फीसदी अधिक है.
क्या है कीमतें बढ़ने की वजह?
अब जानते हैं कि क्या है गेहूं की कीमतें बढ़ने की वजह? एफएओ का प्राइस इंडेक्स मई 157.4 प्वाइंट रहा, जो अप्रैल की तुलना में 0.6 फीसदी कम है. हालांकि, पिछले साल मई की तुलना में यह 22.8 फीसदी ज्यादा है. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, गेहूं की कीमतों में प्रमुख निर्यातक देशों में भारत के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से उछाल आया है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन जंग के कारण भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.