कोरोना काल में दो साल तक पवित्र रमजान महीना को सादगी से मनाया गया था। मस्जिदों में केवल पांच लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति थी। इस साल महामारी की स्थिति सामान्य हो जाने से नियमों की सारी बंदिश हटा दी गई। मंगलवार को सुबह से मुस्लिम समाज के घर घर में ईद की तैयारियां शुरू हो गई। नए कपड़े पहनकर परिवार के पुरुष, बच्चे, युवा नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों की ओर निकल पड़े।
सबसे पहली नमाज बैजनाथपारा स्थित मदरसा में पढ़ी गई। नमाज पढ़कर परिवार, समाज, प्रदेश, देशवासियों की खुशहाली और अमन चैन की दुआ मांगी गई। इसके पश्चात एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।
मदरसा में नमाज के बाद हर 15 से 30 मिनट के बीच राजधानी के अलग अलग मस्जिदों में नमाज अता की गई। मुख्य नमाज लाखेनगर स्थित ईदगाह मस्जिद मैदान में पढ़ी गई। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी रायपुर के ईदगाह भाठा पहुंचे और वहां मुस्लिम भाइयों से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।
इस मौके सीएम बघेल ने सभी प्रदेशवासियों को ‘ईद-उल-फितर’ की मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा, सामाजिक समरसता का यह त्यौहार हम सबके जीवन में तरक्की, खुशहाली और अमन-शांति लेकर आए, ऐसी मैं कामना करता हूं।
यहां एक साथ हजारों लोगों ने नमाज पढ़कर दुआ मांगी। राजधानी में 51 मस्जिदों में नमाज की विशेष व्यवस्था की गई थी। मस्जिद से बाहर आकर जरूरतमंदों की मदद की और बच्चों को ईदी के रूप में रुपये दिए। नमाज के बाद मुस्लिम मोहल्लों में घर-घर में ईद की खुशियां छाई रही। जान पहचान के लोगों में एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला चलता रहा और मीठी सेवइयों से मुंह मीठा कराया जाता रहा।
मुस्लिम बहुल इलाकों बैजनाथपारा, मौदहापारा, मोमिनपारा,राजा तालाब, संजय नगर, छोटापारा, बैरनबाजार, ईदगाहभाठा समेत अनेक इलाकों में विशेष रौनक रही। कई इलाकों में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूलों की व्यवस्था की गई थी।
नमाज पढ़ने के लिए छोटे बच्चे भी अपने पिता, भाई के साथ पहुंचे। युवाओं ने कुर्ता, पायजामा, पठानी सूट धारण कर रखा था। एक सरीखा सूट पहने युवा आकर्षण का केंद्र रहे। कई लोगों ने मस्जिद के बाहर मीठी सेवइयां बांटकर ईद की खुशी मनाई।