अहमदाबाद एयरपोर्ट(Ahmedabad Airport) से उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया(Air-India) का एक बोइंग 787 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. कुछ ही सेकंड में यह विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया और आग की लपटों में बदल गया. इस भयानक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, और अब विश्वभर के विमानन विशेषज्ञ इस पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं. इनमें से एक अनुभवी पायलट कैप्टन स्टीव (Captain Steve Scheibner) हैं, जिन्होंने बोइंग 777 जैसे बड़े विमानों को उड़ाया है. उन्होंने इस दुर्घटना के तीन संभावित कारण बताए हैं, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि इतनी उन्नत तकनीक से बना विमान भी हवा में स्थिर नहीं रह सका. विमान दुर्घटना के वीडियो का विश्लेषण करते हुए RAT (ram air turbine) सक्रियण की संभावना व्यक्त की है.
विशेषज्ञों ने विमान दुर्घटना के तीन संभावित कारणों की पहचान की है. इनमें पहला इलेक्ट्रिकल फेल्योर, दूसरा दोनों इंजनों का फेल होना, और तीसरा हाइड्रोलिक फेल्योर शामिल है. इस घटना के एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति विश्वास के बयान का भी उल्लेख किया गया है, जो इस मामले में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.
पहली संभावना दोनों इंजन का एक साथ फेल होना
कैप्टन स्टीव ने बताया कि दोनों इंजन के एक साथ फेल होने की संभावना है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह हादसा लिफ्ट लॉस के कारण हो सकता है, यानी जहाज के पंखों को पर्याप्त हवा नहीं मिल पाई. उनके अनुसार, विमान में इतनी ताकत नहीं थी कि वह ऊँचाई बनाए रख सके. यदि यह सच है, तो संभवतः विमान किसी बड़े पक्षियों के झुंड से टकराया होगा, जिसके परिणामस्वरूप दोनों इंजन खराब हो गए.
पायलट फ्लैफ्स लगाना भूल गए होंगे!
एक और संभावित कारण यह हो सकता है कि विमान के टेकऑफ से पहले कुछ विशेष तकनीकी सेटिंग्स की आवश्यकता होती है, जिनमें प्रमुख रूप से फ्लैप्स को नीचे करना शामिल है. फ्लैप्स विमान के पंखों के वे हिस्से होते हैं, जो टेकऑफ के समय लिफ्ट को बढ़ाते हैं. कैप्टन स्टीव के अनुसार, यदि पायलट फ्लैप्स को सेट करना भूल जाते हैं, तो विमान हवा में स्थिर नहीं रह पाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा होने की संभावना कम है, क्योंकि आधुनिक विमानों जैसे 787 में यदि फ्लैप्स सही तरीके से सेट नहीं होते, तो कॉकपिट में तेज अलार्म बजने लगता है और स्क्रीन पर चेतावनी दिखाई देती है.
गलत लीवर खींच देना भी एक कारण
तीसरी संभावना यह हो सकती है कि पायलट ने गलती से गलत लीवर खींच लिया हो. स्टीव के अनुसार, जब विमान टेकऑफ करता है, तो को-पायलट यह बताता है कि विमान हवा में है, जिसके बाद पायलट गियर उठाने का आदेश देता है. संभव है कि को-पायलट ने गियर के बजाय फ्लैप्स का हैंडल खींच लिया हो, जिससे विमान के उन हिस्सों को हटा दिया गया जो उसे हवा में स्थिर रखने में मदद करते हैं. अंततः विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दोनों इंजनों के फेल होने के कारण यह दुर्घटना हुई होगी, जबकि भारत में इस मामले की जांच अभी भी जारी है.
क्या सच में प्लेन को बचाया जा सकता था?
अगर उस समय पायलट को यह जल्दी समझ में आ जाता कि गलती से फ्लैप्स ऊपर हो गए हैं, तो संभवतः वह उन्हें फिर से नीचे करके और गियर को अंदर खींचकर संतुलन बना सकते थे. लेकिन ऐसे संकटपूर्ण क्षणों में निर्णय लेने के लिए केवल कुछ सेकंड का समय मिलता है, और उस समय कॉकपिट में भ्रम, घबराहट और तेज अलार्म के कारण स्थिति और भी जटिल हो जाती है. असली कारण का पता ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा.