अमेरिका: भारतीय पत्रकारों को मिला विशेष स्थान

अमेरिका. संयुक्त राज्य अमेरिका यानी यूएसए में राष्ट्रपति निवास का नाम व्हाइट हाउस है. दुनिया में सबसे ताकतवर देश का नेतृत्व करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति का घर भी अचूक सुरक्षा घेरे में रहता है. यहां की गतिविधियों को कवर करने वाले पत्रकार भी विशेष मान्यता प्राप्त होते हैं. यहां तक की अमेरिका में होने वाले संयुक्त राष्ट्रों के सम्मेलन में भी व्हाइट हाउस के पत्रकारों को विशेष स्थान दिया जाता है. 1970 के दशक में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने न्यूज टेलीविजन की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रेस कॉन्‍फ्रेंस रूम की व्यवस्था शुरू की थी. तभी से ही व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव की ब्रीफिंग को सुनने और रिकार्डिंग करने के लिए पत्रकार इसी रूम में इकट्ठा होते रहे हैं. आज व्हाइट हाउस प्रेस कोर में लगभग 200 सदस्य हैं. प्रेस ब्रीफिंग रूम में 49 पत्रकारों के बैठने की व्यवस्था है. यहां हर एक कुर्सी पर बैठने वाले पत्रकार या संस्था का नाम निर्धारित रहता है. अगर ज्‍यादा पत्रकार आ जाएं तो उन्हे पीछे खड़े होने की अनुमति रहती है.

अमेरिका के राष्‍ट्रपति के निवास में व्हाइट हाउस कॉरेस्पोंडेंट्स एसोसिएशन है और यही सीटों को आवंटित करती है. प्रत्येक सीट पर एक पट्टिका या उस समाचार संस्था का नाम लगा रहता है, जिसे वह सीट अलॉट की गई है. व्हाइट हाउस कॉरेस्पोंडेंट्स एसोसिएशन 1914 में बना यहां के पत्रकारों का एक संगठन है. साल 2000 में यहां टीवी पत्रकारों की मांग पर व्हाइट हाउस परिसर के मुख्य द्वार के पास ओपन स्टूडियो बनाने के लिए कुछ चैनलों को 20×7 फुट की जगह दी गई थी, जो आज एक समान 18 पोर्टा कैबिन में बदल गई है.

व्हाइट हाउस में 18 टीवी चैनल एक साथ अपना लाइव प्रसारण या चैट कर सकते हैं. यहां पर इन ओपन स्टूडियो की लोकेशन ऐसी है कि व्हाइट हाउस की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके. यहां के पत्रकारों के लिए साल में कई बार राष्ट्रपति के साथ डिनर का मौका मिलता है. इन पत्रकारों का दबदबा ऐसा है कि यहां पर बाहर के पत्रकारों को अनुमति नही दी जाती है. हाल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाकात के लिए सभी भारतीय पत्रकारों को व्हाइट हाउस में कवरेज के लगे न्‍योता दिया गया.

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