एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने स्पष्ट किया कि धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान का उल्लंघन है और इसे न्यायालयों द्वारा अस्वीकार किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि वे धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार के कोटे का दृढ़ता से विरोध करते हैं.
गृह मंत्री ने राहुल गांधी की संसद की कार्यकुशलता पर की गई आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि विपक्षी नेता को शायद यह जानकारी नहीं है कि सदन में बोलने के लिए निर्धारित नियम होते हैं, जिन्हें मनमानी तरीके से नहीं बदला जा सकता. उन्होंने बताया कि गांधी को बजट पर चर्चा के दौरान 42 प्रतिशत समय दिया गया था, और यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है कि वह किस विषय पर बोलें. हालांकि, जब संसद में महत्वपूर्ण चर्चा चल रही थी, तब वह वियतनाम में थे, और लौटने के बाद उन्होंने अपनी इच्छानुसार बोलने की मांग की.
उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद अपने नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार कार्य करती है, जबकि कांग्रेस पार्टी एक परिवार के नियंत्रण में संचालित होती है. कांग्रेस पर देश में आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न करने के आरोपों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि विपक्षी पार्टी हमेशा सरकार की निंदा करती रहती है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि वास्तव में आपातकाल होता, तो कांग्रेस के नेता जेल में होते.
कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिमों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा पर शाह ने टिप्पणी की कि कांग्रेस वोट-बैंक की राजनीति के तहत धर्म के आधार पर ठेके देने का प्रयास कर रही है, जबकि ठेके गुणवत्ता और मूल्य के आधार पर दिए जाने चाहिए, न कि धार्मिक आधार पर. गृह मंत्री ने कांग्रेस की जाति गणना की मांग पर भी प्रतिक्रिया दी, यह बताते हुए कि विपक्षी पार्टी ने पहले इस तरह के प्रयासों का विरोध किया था.