राहुल गांधी अब लोकसभा के सदस्य नहीं हैं. लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को उन्हें अयोग्य करार दे दिया. राहुल गांधी को गुजरात की अदालत ने साल 2019 के ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में दोषी करार दिया था. उनको दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है. अब उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो गई है. लेकिन राहुल के लिए बड़ा झटका यह है कि वह 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.
लोक प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के मुताबिक, अगर किसी भी सांसद या विधायक को किसी मामले में 2 या 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं, सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं. इस कानून की धारा 8(3) में कहा गया है कि अगर किसी सांसद को दोषी ठहराया जाता है और दो साल से कम की कैद की सजा नहीं होती है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है.
क्या लिखा है कानून की धारा में
इस कानून की धारा 8(4) में यह भी कहा गया है कि दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्यता तीन महीने बाद ही प्रभावी मानी जाती है. हालांकि 2013 में इस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ अपील दाखिल करने से कुछ नहीं होगा. सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ स्थगन का एक विशिष्ट आदेश सुरक्षित करना होगा.
इससे पहले 10 जुलाई, 2013 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में ये फैसला सुनाया था कि कोई भी संसद सदस्य (सांसद), विधानसभा सदस्य (विधायक) या एक विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य जो एक अपराध का दोषी है और न्यूनतम दो साल की कारावास की सजा दी गई है, वो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है.
क्या है मामला
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी मामले को लेकर बीजेपी विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था और गुरुवार को इस मामले में सूरत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने दोषी करार दिया. हालांकि उन्हें इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी गई है लेकिन अदालत के फैसले की वजह से उनकी संसद सदस्यता पर खुद ही अयोग्य हो गई.