नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में क्या मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी प्रमुख सोनिया और राहुल गांधी का परोक्ष रूप से समर्थन हासिल है? यह कयास खड़गे की ओर से अध्यक्ष चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से ही लग रहे हैं. हालांकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. खड़गे ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘गांधी परिवार पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर तटस्थ है. यह निष्पक्ष चुनाव है.’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के हर वर्ग के नेताओं ने मुझसे यह चुनाव लड़ने के लिए कहा. पार्टी को मजबूत करने और देश के संविधान को बचाने के लिए मैं इसके लिए राजी हुआ.’
खड़गे ने इससे पहले भी कहा था कि वह पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं और अध्यक्ष बन जाने पर वह गांधी परिवार और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे तथा उनके अच्छे सुझावों पर अमल भी करेंगे. उन्होंने बताया था, ‘मेरे साथी लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाहतीं. सभी ने कहा कि हमारा आपके साथ सहयोग है…इसके बाद मैं मैदान में उतरा.’
मल्लिकार्जुन खड़गे के पास लगभग पांच दशक का राजनीतिक अनुभव है. वह केंद्रीय मंत्री रहने के साथ कांग्रेस के विभिन्न उच्च पदों पर रह चुके हैं. इससे पहले वह राज्यसभा में कांग्रेस के नेता थे. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करने के साथ ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की ओर से जारी दिशानिर्देश में कहा गया था कि अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार या उनके पक्ष या विरोध में प्रचार करने वाले सदस्य के पास अगर संगठन की कोई जिम्मेदारी है, तो पहले उसे वह जिम्मेदारी छोड़नी होगी.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का मुकाबला शशि थरूर से हैं. अगर पार्टी के इन दोनों नेताओं में से कोई भी अपना नामांकन वापस नहीं लेते हैं, तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा, जिसमें 9,000 से अधिक डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्य) वोट करेंगे. इन वोटों की गिनती 19 अक्टूबर को होगी, जिसके बाद उसी दिन रिजल्ट भी घोषित कर दिए जाएंगे. (भाषा इनपुट के साथ)