नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि नगालैंड हत्या केस में जांच के नतीजों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी. जनरल नरवणे ने वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जांच के नतीजों के आधार पर उचित और सुधारात्मक (Appropriate and corrective) कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने नगालैंड के मोन जिले में हुई इस घटना को अफसोसजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया. गौरतलब है कि नगालैंड में सुरक्षा बलों के एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में ‘गलत पहचान’ के चलते 14 स्थानीय लोग मार गए थे. बाद में हुई झड़प में सुरक्षा बल का एक जवान की भी मौत हो गई थी. घटना म्यांमार की सीमा से लगे नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में हुई थी.
पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद पर जनरल नरवणे ने कहा कि आंशिक तौर पर सैनिक पीछे हटे हैं लेकिन खतरा किसी भी तरह से कम नहीं हुआ है. हमने चीन की पीएलए के साथ बातचीत करते हुए भी अभियान संबंधी अपनी तैयारियों का उच्चतम स्तर बरकरार रखा हुआ है और हम चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ दृढ़ एवं मजबूत तरीके से निपटना जारी रखेंगे. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सुरक्षा कदम उठाए गए हैं.उन्होंने बताया कि उत्तरी सीमाओं के पास अवसंरचना के उन्नयन एवं विकास का कार्य समग्र और व्यापक तरीके से किया जा रहा है.यह देखने के लिए बड़े प्रयास किए जा रहे हैं कि सभी दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे कौन-कौन से हैं और उनका क्या उपयोग किया जा सकता है
गौरतलब है कि नगालैंड की घटना का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था. सैकड़ों नगा लोगों ने नगालैंड से सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) हटाने और मोन जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ की मांग करते हुए मंगलवार को दीमापुर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक दो दिवसीय पैदल मार्च में हिस्सा लिया था. पैदल मार्च में हिस्सा लेने वाले लोगों के हाथों में तख्तियां और बैनर थे, जिन परअफस्पा कानून को निरस्त करने की मांग की गई थी. साथ ही लोगों ने 14 आम नागरिकों की मौत के मामले में इंसाफ के लिए भी नारे लगाए थे. पिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर व्यापक अभियान के बाद विभिन्न नागा सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा दो दिवसीय वॉकथॉन (Walkathon) का नेतृत्व किया गया