राजनांदगांव। किसान नेता अशोक चौधरी ने बीएनसी मिल बंद होने के बहुत से कारणों में एक महत्वपूर्ण कारण बताया। वह यह कि उस समय की कांग्रेस की सरकार जिस के मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी बीएनसी मिल का लगभग दो करोड़ का बिजली माफ कर देते और बीएनसी मिल का एक भी खाता चालू रहता तो बीएनसी मिल बंद नहीं किया जाता लेकिन तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री ने जिद पकड़ ली की बीएनसी मिल को बिजली का बिल अपने साधनों से जमा करना ही होगा। इस ज़िद ने इतना तूल पकड़ा कि बीएनसी मिल बंद होने की राह पर निकल गया। एक बड़ा कारण जो मैं समझता हूं वह इंटूक भी था बीएनसी मिल में सभी खाते मच्छरदानी खाते को छोड़कर बैठे-बैठे तनखा पाती थी इंटूक ने फरमान जारी किया कि सभी को बिना काम के पैसे मिलते हैं तो बी विंग मच्छरदानी खातेके यह मजदूर काम क्यों करेंगे जब एनटीसी ने मिल बंद किया तो यह ख्याल किया कि जिस मिल में एक भी खाता चालू है उसे बंद न किया जाए लेकिन राजनांदगांव बीएनसी मिल की मच्छरदानी खाता लाभ के बावजूद उस समय के ख्याति प्राप्त मजदूर संगठन इंटूक केअदूरदर्शीता निर्णय के कारण मच्छरदानी खाता बंद करने की वजह से बीएनसी मिल बंद हुआ।
बीएनसी मिल से रोजी प्राप्त करने वाले मजदूर दो हिस्सों में बंट गए एक छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का संगठन और दूसरी ओर इंटुक का मजदूर संगठन इन दोनों मजदूर संगठन ने वर्चस्व की लड़ाई में अपने रोजी देने वाले बी एन सी मिल को खोखला कर दिया, जिसका परिणाम यह हुआ कि मिल बंद हो गया और फिर आज तक उसे खोला नहीं जा सका, ऐसा नहीं है कि उन दिनों बंद हुए मिलो में पुनः चालू नहीं किए गए मध्य प्रदेश का बुरहानपुर मिल सूत कातने की यूनिट के रूप में चालू किया गया और आज वह 6000 मजदूरों को काम देकर लाभ कमा रही है। कपड़ा मिल चलाना अवश्य कठिन है लेकिन सूत की मांग विश्व स्तर पर है इसलिए सूत काटने की मिल के रूप में बीएनसी मिल को चालू किया जा सकता था।