Gyanvapi Case. वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई की टीम को कुछ नई चीजें मिली हैं. बताया जा रहा है कि टीम को 34 शिलालेख मिले हैं. इनमें से तीन शिलालेख तेलुगु भाषा में हैं. कुछ शिलालेख कन्नड़, देवनागरी और तमिल भाषाओं में हैं. एएसआई की पुरालेख शाखा को इससे पहले अयोध्या से एक संस्कृत शिलालेख भी मिला था.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वेक्षण में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कुल 55 पत्थर की मूर्तियां मिलीं, जिनमें 15 “शिव लिंग”, “विष्णु” की तीन मूर्तियां, “गणेश” की तीन, “नंदी” की दो मूर्तियां शामिल हैं. एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “कृष्ण” के दो, और “हनुमान” की पांच मूर्तियां मिली हैं. एएसआई के मुताबिक इससे वहां पहले भव्य मंदिर होने के संकेत मिलते हैं.
कर्नाटक के मैसूर में एएसआई के पुरालेख विभाग के निदेशक मुनिरत्नम रेड्डी के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम को शिलालेख मिले हैं. मुनिरत्नम रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन शिलालेखों से कई नई जानकारियां सामने आई हैं. उन्होंने कहा कि यह शिलालेख 17वीं शताब्दी के हैं. शिलालेख मस्जिद की दीवारों पर उकेरे गए हैं. इन शिलालेखों में से एक में नारायण भटलू के पुत्र मल्लाना भटलू जैसे लोगों के नाम साफ तौर पर लिखा है.
मुनिरत्नम के मुताबिक, “यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि नारायण भटलू एक तेलुगु ब्राह्मण हैं जिन्होंने 1585 में काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण की देखरेख की थी. ऐसा कहा जाता है कि जौनपुर के हुसैन शर्की सुल्तान (1458-1505) ने 15 वीं शताब्दी में काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में किया गया था. माना जाता है कि राजा टोडरमल ने दक्षिण भारत के एक विशेषज्ञ नारायण भटलू को मंदिर के निर्माण की निगरानी करने के लिए कहा था. मौजूदा शिलालेख इस तथ्य का समर्थन करता है.”
एएसआई निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “यह शिलालेख ज्ञानवापी मस्जिद की एक दीवार पर लिखा हुआ है और यह तेलुगु भाषा में है. हालांकि यह क्षतिग्रस्त और अधूरा है, लेकिन इसमें मल्लाना भटलू और नारायण भटलू का उल्लेख है.” मस्जिद से तेलुगु भाषा में मिले शिलालेखों में एक अन्य में ‘गोवी’ शब्द लिखा मिला. यह गोविस चरवाहों को कहा जाता है. इसके अलावा एक तीसरा शिलालेख है जो 15वीं शताब्दी का है। यह मस्जिद के उत्तरी हिस्से के मुख्य द्वार पर मिला. इसमें 14 लाइनें हैं, जो पूरी तरह से घिसी-पिटी हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह दीपकों से संबंधित है.