रायपुर. अगर आपका कोई रिश्तेदार, दोस्त या परिचित फोन कर इमरजेंसी बताकर मदद मांग रहा है तो पैसों के ट्रांसफर संबंधित मदद करने से पहले यह जरूर जान लें, क्या सच में उसे मदद की जरूरत है? साइबर जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की वायस क्लोनिंग टूल की मदद से आपके अपनों की आवाज को ठगी का माध्यम बना रहे हैं. ताजा मामले में दिल्ली के एक विधायक की आवाज की नकल करते हुए (वाइस क्लोनिंग) ठगों ने इंटरनेशनल मनी एक्सचेंज कंपनी के एक डायरेक्टर से कथित तौर पर पार्टी फंड के नाम पर 6 लाख रुपए की ठगी कर डाली. शक होने पर डायरेक्टर ने जब विधायक को कॉल किया तो सच पता लगा.
हाल के महीने में दर्जनों ऐसे केस आए सामने
यह टूल आपकी आवाज इतने सलीके से नकल करता है कि अपनी व टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे. हाल के महीने में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें एआई के इस्तेमाल होने की आशंका है. साइबर क्राइम की टीम सभी पहलुओं पर जांच कर रही है.
तीन से पांच सेकेंड की आवाज से वायस क्लोनिंग
साइबर क्राइम की टीम ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी की भी आवाज की नकल करने के लिए सिर्फ तीन से पांच सेकंड का वीडियो चाहिए. साइबर क्रिमिनल फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं. इसके बाद वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन किया जाता है. आवाज की क्लोनिंग ऐसी होती है कि पति पत्नी भी एक दूसरे की आवाज नहीं समझ पाते.
वॉयस क्लोनिंग क्या है?
वॉइस क्लोनिंग किसी व्यक्ति की आवाज़ का कृत्रिम अनुकरण तैयार करना है. आज के एआई सॉफ्टवेयर तरीके सिंथेटिक आवाज उत्पन्न करने में सक्षम हैं, जो लक्षित मानव आवाज से काफी मिलता जुलता है. कुछ मामलों में असली और नकली आवाज के बीच का अंतर औसत व्यक्ति के लिए पहचान पाना लगभग नामुमकिन है.
वॉइस क्लोन कैसे बनाए जाते हैं
ऑनलाइन एआई टेक्स्ट-टू-वॉयस सॉफ्टवेयर की शुरुआत आवाज को संश्लेषित करने के लिए कंप्यूटर के उपयोग से हुई. टेक्स्ट-टू-स्पीच (टीटीएस) एक दशकों पुरानी तकनीक है. जो टेक्स्ट को सिंथेटिक आवाज में परिवर्तित करती है, जिससे कंप्यूटर-मानव संपर्क के लिए आवाज का उपयोग किया जा सकता है.
ठगी से बचाव के लिए करें उपाय
अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड रखें, एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें. यदि दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में पैसे के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके कंफर्म कर लें. साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें.