नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें आर्य समाज (Arya Samaj) के एक संगठन को निर्देश दिया गया था कि शादी करते समय उसे स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के प्रावधानों का पालन करना चाहिए. आर्य समाज के एक संगठन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
आर्य समाज ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये तर्क
मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान और वकील वंशजा शुक्ला ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने आर्य समाज के मंदिरों द्वारा किए गए आर्य समाज के विवाह को निर्देश देकर विधायिका (Legislature) के क्षेत्र में प्रवेश करके एक गलती की है. मध्य प्रदेश में याचिकाकर्ता समाज को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों का पालन करना होगा. याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि मध्य प्रदेश के सभी आर्य समाज मंदिरों पर उसका अधिकार है.
हाई कोर्ट ने दिया था ये निर्देश
वकील ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने गलत तरीके से निर्देश दिया कि आर्य समाज मंदिरों को स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों का पालन करने के बाद विवाह की अनुमति देनी चाहिए. इसमें इच्छित विवाह की सूचना देना, नोटिस, शादी की नोटबुक, शादी पर आपत्ति और प्रक्रिया शामिल है.
आर्य समाज को गाइडलाइंस में करना पड़ता बदलाव
जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय ने दलीलें सुनने के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसने संगठन को स्पेशल मैरिज एक्ट के अनुसार अपनी गाइडलाइंस में संशोधन करने का निर्देश दिया और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया.
जान लें कि ये मामला 2020 में हाई कोर्ट में एक अंतर-जातीय जोड़े की तरफ से दायर एक याचिका से चर्चा में आया, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने आर्य समाज की परंपरा के अनुसार शादी की और राज्य सरकार को सुरक्षा का निर्देश देने के लिए कोर्ट का रुख किया.