रायपुर: बस्तर में 208 माओवादियों के आत्मसमर्पण पर राजनीतिक हलचल है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की भाजपा सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा कि माओवादियों का मुख्यधारा में लौटना ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीति की सफलता का परिणाम है। बघेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री जी ने पहले की तरह हमारी ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीति को आगे बढ़ाया है।
साथ ही भूपेश बघेल ने कहा कि आज बस्तर में माओवादियों का बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण इस राष्ट्रीय लड़ाई के अंत की दिशा में सकारात्मक कदम है। हम सब मिलकर जीतेंगे। सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई। भूपेश ने यह बातें इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखीं।
इस पर भाजपा सरकार के वनमंत्री केदार कश्यप ने भूपेश को शुक्रिया कहते हुए पूछा कि यह आपकी निजी राय है या कांग्रेस का आधिकारिक बयान है?, हालांकि भूपेश के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में चर्चा शुरू हो गई है।
बता दें कि शुक्रवार को जगदलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 208 माओवादियों ने भारतीय संविधान की प्रति लेकर आत्मसमर्पण किया। इनमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय थे।
2018 में हमने बनाई थी माओवाद उन्मूलन नीति- भूपेश
भूपेश ने लिखा कि 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद पहली बार माओवाद उन्मूलन नीति बनाई गई। बड़ी संख्या में कैंप खोले गए, सड़कें बनीं, स्कूलों में घंटियां गूंजीं और माओवादियों के गढ़ों में घुसकर उन्हें चुनौती दी गई। बघेल ने कहा कि इस अभियान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी सहयोग रहा और इसे देश की साझा चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने माओवाद के कारण दशकों तक पीड़ा झेली है। हमने बड़ी संख्या में जवानों, आदिवासियों और कांग्रेस पार्टी ने अपने शीर्ष नेतृत्व तक को खोया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में डेढ़ दशक तक रही भाजपा सरकार माओवाद के खिलाफ इच्छाशक्ति नहीं दिखा सकी। यह बात सुरक्षा सलाहकार केपीएस गिल साहब ने भी कही थी।
केदार कश्यप ने साधा निशाना- कांग्रेस की दोहरी राजनीति
भूपेश बघेल के बयान पर राज्य के वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तारीफ के लिए धन्यवाद भूपेश बघेल जी। बस यह स्पष्ट कर दीजिए कि यह आपकी निजी राय है या कांग्रेस का आधिकारिक बयान? आपकी पार्टी के प्रवक्ता तो इसे एक ‘इवेंट’ बता रहे थे और प्रदेश अध्यक्ष असली-नकली नक्सली का प्रश्न उठाकर इस लड़ाई को कमजोर करने में लगे हैं।
केदार कश्यप ने कांग्रेस पर जनजाति विरोधी और माओवादी समर्थक नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस झीरम का आप जिक्र कर रहे हैं, उसी दरभा घाटी हमले में राहुल गांधी ने बिलासपुर में माओवादियों को क्लीन चिट दे दी थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने महेंद्र कर्मा जी का साथ देने के बजाय उनके ‘सलवा जुडूम’ का विरोध किया था। अगर कांग्रेस ने तब समर्थन दिया होता तो यह लड़ाई इतनी लंबी नहीं चलती। कांग्रेस की यह दोहरी नीति देश के लिए खतरनाक है।





