घोषणापत्र के और कौन-कौन से वादे हैं जिन्हें सरकार पूरा नहीं कर सकती, माननीय मंत्री जी बताएं
राजनांदगांव। आज प्रदेश के कद्दावर मंत्री और कांग्रेस जन घोषणा पत्र समिति के संयोजक सिंहदेव जी ने स्वीकार कर लिया है की जन घोषणा पत्र में किए वादे कांग्रेसी सरकार पूरे नहीं कर पा रही है और जनता का बहुत दबाव था इसलिए वह शराबबंदी को कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल कर लिए थे किंतु अब इसे लागू नहीं कर पा रहे हैं। मंत्री जी के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नीलू शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा है की सिंह देव जी के बयान से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के अधिकतर मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तानाशाही के आगे लाचार और असहाय हैं , जो अपनी सत्ता सरकार के रहते, अपने अपने क्षेत्र का विकास भी नहीं करवा पा रहे हैं और जनता से किए अपने वादे भी पूरे नहीं कर पा रहे हैं। अपने घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस सरकार प्रदेश की जनता , महिलाओं और उन सामाजिक संगठनों के सदस्यों से धोखा कर रही है जिन्होंने शराबबंदी के समर्थन में कांग्रेस सरकार को वोट दिया था।
श्री शर्मा ने कांग्रेस सरकार को घेरते हुए यह पूछा है कि घोषणापत्र के और कौन-कौन से ऐसे वादे हैं जिन्हें सरकार पूरा नहीं कर सकती यह माननीय मंत्री जी स्पष्ट करें । भाजपा प्रवक्ता नीलू शर्मा ने यह भी कहा है की पूर्ण शराबबंदी कठिन कार्य हो सकता है पर यह असंभव कार्य नहीं है। किंतु कांग्रेस सरकार की 4 साल की कार्यप्रणाली से कभी भी ऐसा भान नहीं हुआ कि यह सरकार शराबबंदी लागू करने के लिए संवेदनशील है। उल्टे कांग्रेस शासन में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध शराब बिक्री कांग्रेसी नेताओं के संरक्षण में फल फूल रही है।
शराबबंदी के सवाल पर मंत्री टी एस सिंहदेव का यह कहना कि हमने शराबबंदी का वादा किया था परंतु कमेटी ने और बीयर बार खोलने की सिफारिश कर दी है, शर्मनाक और गैरजिम्मेदारीपूर्ण बयान है, जिससे प्रदेश की जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है और उसका विश्वास कांग्रेस सरकार से उठ गया है । प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने शराबबंदी के लिए सतनारायण शर्मा की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई है वह सरकारी खर्चे पर दूसरे राज्यों का राजनैतिक पर्यटन करके जनता के पैसे का अपव्यय कर रही है। जनता को भ्रम में डाल कर, शराबबंदी जैसे संवेदनशील विषय को अनावश्यक रूप से लंबित रखने के लिए यह भूपेश सरकार का एक सुनियोजित राजनैतिक हथकंडा मात्र है।