राजस्थान। सुप्रीम कोर्ट से संत आसाराम बापू को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया, जिसके तहत अदालत ने बलात्कार के एक मामले में आसाराम द्वारा दायर याचिका के सिलसिले में साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा को समन भेजा था।
बता दें कि जोधपुर के एक आश्रम में 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने 2018 में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट के समक्ष आसाराम ने दलील दी कि कथित अपराध स्थल, आसाराम प्राइवेट क्वार्टर या ‘कुटिया’, के पीड़ित का ग्राफिक विवरण IPS अधिकारी द्वारा उस जगह की वीडियो रिकॉर्डिंग से कथित रूप से प्रभावित था, जब वह जोधपुर में सेवा कर रहा था।
आसाराम के वकील ने तर्क दिया कि लड़की ने अपनी हस्तलिखित शिकायत या पुलिस द्वारा 20 अगस्त, 2013 को दर्ज किए गए बयान में ‘कुटिया’ के अंदरूनी हिस्सों का कोई विवरण नहीं दिया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने हाईकोर्ट से आसाराम द्वारा दायर अपील पर शीघ्र सुनवाई करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘हमने अपील को स्वीकार कर लिया है और फैसला खारिज कर दिया है।’
जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल लांबा को आसाराम के वकीलों की दलील के बाद अदालत में गवाह के रूप में पेश होने के लिए कहा गया था। आसाराम के वकिलों ने दलील दी है कि हो सकता है उनके द्वारा की गई एक वीडियो रिकॉर्डिंग ने किशोरी की गवाही को प्रभावित किया हो।
जोधपुर के तत्कालीन डीसीपी (पश्चिम) ने अपनी किताब ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कन्विक्शन’ में कहा कि उन्होंने अपराध के दृश्य को अपने मोबाइल फोन पर इसलिए रिकॉर्ड किया ताकि मामले की जाच के दौरान इससे मदद मिल सके।