नई दिल्ली. भारत में हवाला के जरिए की जा रही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) की फंडिंग के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय देशभर में अभियान छेड़े हुए हैं. हाल ही में ईडी ने देश के कई राज्यों में 115 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया था. अब प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खाड़ी देशों (Gulf countries) में हजारों एक्टिव मैंबर हैं जोकि पर्याप्त धन जुटाने का काम करते हैं और हवाला लेनदेन के माध्यम से उसको भारत भेजते हैं. जबकि पीएफआई ने दावा किया था कि उसको प्राप्त हुआ 120 करोड़ रुपये के फंड में से अधिकांश भारत में छोटे-छोटे दान के जरिए हासिल हुआ है. जोकि पूरी तरह से उलट है.
ToI में प्रकाशित खबर के मुताबिक एजेंसी का कहना है कि जांच से पता चला है कि थेजस अखबार ने भारत और खाड़ी दोनों देशों के बीच इस मामले में मुखपत्र के रूप में काम किया. संगठन ने फर्जी दान रसीदें बनाकर भारत में अधिकारियों को गुमराह किया था.
ईडी ने कहा है कि पीएफआई के वो कई पदाधिकारी हिरासत में जिन्होंने अबू धाबी के दरबार रेस्तरां (Darbar restaurant) को हवाला लेनदेन और भारत में उनके अवैध हस्तांतरण के लिए एक सेफ जगह रूप में इस्तेमाल किया है. ईडी ने खुलासा किया है कि पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) मामले में अब्दुल रजाक बीपी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. वह दरबार रेस्तरां के जरिए पीएफआई और संबंधित संस्थाओं की मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को अंजाम देने में शामिल रहा. ईडी ने कहा है कि उसने अपने भाई से मनी लॉन्ड्रिंग की रकम हासिल की जोकि अबू धाबी में दरबार रेस्तरां का प्रबंधन कर रहा था.
ईडी ने केरल में गुरुवार को गिरफ्तार किए गए पायथ के खिलाफ रिमांड नोट में खुलासा किया है कि रजाक के स्वामित्व वाली एक अन्य कंपनी – तामार इंडिया स्पाइसेस प्राइवेट लिमिटेड का भी मनी लॉन्ड्रिंग की रकम को कम करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. शफीक पायथ ने 2018 तक गल्फ थेजस डेली में बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में दो साल तक काम किया. गल्फ थेजस डेली थेजस न्यूजपेपर की शाखा है जो इंटरमीडिया पब्लिशिंग लिमिटेड द्वारा प्रकाशित की जाती है. इसमें अब्दुल रजाक बीपी उस समय निदेशकों में से एक था.
ईडी ने खुलासा किया कि पायथ 2007 से पीएफआई का संस्थापक सदस्य है जिसको कतर से फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गई थी. ईडी के अनुसार, अब्दुल रजाक ने इस वर्क को अंजाम देने के लिए अबू धाबी (Abu Dhabi) में अपने निजी नेटवर्क का इस्तेमाल किया और कथित तौर पर दरबार रेस्तरां को मनी लॉन्ड्रिंग केंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया.
जांच एजेंसी ईडी ने मामले में बड़ा खुलासा करते हुए यह भी कहा है कि खाड़ी में पूरे फंड को इकट्टा करने की जिम्मेदारी अशरफ एमके पर थी. वह ही सभी बड़े फंड कलेक्शन और हवाला की डीलिंग को बतौर किंगपिन के तौर पर संभालता था. वह पीएफआई केरल स्टेट एग्जीक्यूटिव काउंसिल का मैंबर भी था और एर्नाकुलम के पीएफआई अध्यक्ष के रूप में भी जिम्मेदारी संभाल चुका है. वह 2010 में प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काटने के मामले में भी आरोपी है. अशरफ पीएफआई के साथ-साथ संबंधित संस्थाओं की फंडिंग मामले में भी शामिल था. अशरफ ही अबू धाबी स्थित दरबार रेस्तरां का मालिक है जोकि मनी लॉन्ड्रिंग का सेंटर बना हुआ था.
ईडी का कहना है कि दरबार रेस्तरां (Darbar restaurant) जोकि मनी लॉन्ड्रिंग का सेंटर बना हुआ था, उसकी ऑनरशिप को लेकर भारत में ऑथोरिटीज के सामने खुलासा नहीं किया गया है. वहीं, दरबार रेस्तरां के जरिए पीएफआई के लिए मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को अंजाम देने में शामिल अब्दुल रजाक बीपी की फ्रंट पर संलिप्ता बताई जा रही है.