Dantewada IED Blast: नक्सल मामलों के जानकार मनीष गुप्ता बताते हैं कि नक्सली हमेशा ब्लास्ट के लिए वी शेप के पेड़ का इस्तेमाल करते हैं. पीछे ट्रिगर रखते हैं, जैसे ही वाहन आता है ब्लास्ट कर देते हैं.
एक तरफ जहां बस्तर पुलिस (Bastar Police) छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के बैकफुट पर होने के दावे कर रही थी, वहीं बुधवार को एक बड़ा नक्सली हमला (Naxalites Attack) कर नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी. नक्सलियों ने इस वारदात को ऐसे जगह अंजाम दिया, जहां चमचमाती सड़क और घटनास्थल से 2 किलोमीटर दूर अरनपुर थाना और पुलिस कैम्प भी है.
मौका मिलते ही किया ब्लास्ट
बताया जा रहा है कि नक्सली पिछले 2 दिनों से सड़क पर जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए रेकी कर रहे थे. बुधवार की दोपहर नक्सलियों ने मौका मिलते ही इतना जबरदस्त ब्लास्ट किया कि मौके पर ही 10 जवानों की शहादत हो गई. वाहन चालक भी इस ब्लास्ट में मारा गया. आखिर, नक्सली कैसे जवानों से भरे वाहनों को ब्लास्ट कर उड़ाते हैं. एबीपी लाइव की इस रिपोर्ट में जानिए और समझिए कि नक्सली इतनी बारीकी से और सटीक ब्लास्ट कैसे करते हैं.
15 फीट हो गया गड्ढा
दअरसल नक्सली संगठन में अलग-अलग कैडर के नक्सलियों को और खासकर सबसे निचले कैडर माने जाने वाले संघम सदस्यों को ब्लास्ट करने की ट्रेनिंग दी जाती है. बकायदा इसके लिए नक्सली अपने पास रखे बारूद को इस्तेमाल भी करते हैं, ताकि उनका निशाना कभी न चूके. बुधवार को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में हुए ब्लास्ट में भी नक्सलियों ने इस तरह से सटीक ब्लास्ट किया कि ब्लास्ट होने की जगह पर करीब 15 फीट गड्ढा हो गया. इसके साथ ही वाहन का इंजन घटनास्थल की जगह से 100 मीटर की दूरी पर उछल कर गिरा. वाहन के पूरी तरह से परखचे उड़ गए.
क्या होता है वी शेप पेड़
नक्सल मामलों के जानकार मनीष गुप्ता बताते हैं कि नक्सली हमेशा ब्लास्ट करने के लिए V शेप के पेड़ का इस्तेमाल करते हैं. इस पेड़ के पीछे अपने ट्रिगर को रखते हैं, ताकि जैसे ही V शेप के पेड़ के बीचों बीच वाहन आता है तो उसे तार के माध्यम से ब्लास्ट करते हैं. इस तरह के पेड़ से नक्सलियों को आसानी से ब्लास्ट करने में तकनीकी सहायता मिलती है. बस्तर में हुए अधिकतर ब्लास्ट में ऐसे ही पेड़ के पीछे से नक्सलियों ने ब्लास्ट किया है.
आसानी से किया ब्लास्ट
नक्सली अंदाजा लगाते हैं कि जैसे ही सड़क से गुजरने वाली गाड़ी उनके खड़े हुए जगह यानी कि V शेप के पेड़ के बीचो बीच में आएगी, यहां से ब्लास्ट किया जाएगा. बुधवार की घटना में साल 2011 में ही दंतेवाड़ा से अरनपुर चमचमाती सड़क बनाई गई. लेकिन, नक्सलियों ने सड़क निर्माण के दौरान पहले से ही सड़क को खोदकर यहां 50 किलो वजनी आईईडी लगाया था. इसके कमांड मतलब तार को इतनी बारीकी से मिट्टी और पेड़ के पत्तों के नीचे दबा कर रखा था, जिसका जवानों को अंदाजा भी नहीं हुआ. नक्सलियों ने बड़ी आसानी से वाहन को ब्लास्ट कर उड़ाया और कुछ राउंड फायरिंग कर मौके से फरार हो गए.
ऐसे ही कई बार घटनाओ को दिया अंजाम
दरअसल 12 अप्रैल साल 2014 में भी झीरम घाटी में नक्सलियों ने एक संजीवनी एंबुलेंस को ब्लास्ट कर उड़ाया था.इसमें सीआरपीएफ के करीब 6 जवान सवार थे. इस ब्लास्ट में भी नक्सलियों ने इस “वी शेप” पेड़ के पीछे से ही एंबुलेंस को टारगेट बनाया और जबरदस्त ब्लास्ट किया, जिससे सभी जवानों और वाहन चालक की भी घटना में मौत हो गई. इसके अलावा 6 अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले में भी सबसे पहले नक्सलियों ने ऐसे ही वी शेप के पेड़ के पीछे से सीआरपीएफ की एंटी लाइनमाइन व्हीकल को ब्लास्ट कर उड़ाया था. इस ब्लास्ट में करीब 70 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया था. इससे एंटी लैंड माइन व्हीकल (एमपीवी) के परखचे उड़ गए थे. इस वाहन में सवार सभी सीआरपीएफ जवानों की शहादत हो गई थी. केवल 2 मामले ही नहीं बल्कि बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में जितने भी नक्सली ब्लास्ट हुए हैं, उन सभी में नक्सलियों ने इस तरह के ही वी शेप पेड़ का सहारा लिया है. इससे जवानों को काफी नुकसान पहुंचा. बुधवार को हुए घटना में भी वी शेप पेड़ के पीछे से करीब 15 मीटर वायर भी बरामद किया गया. हालांकि अब नक्सलियों के स्ट्रेटजी को समझते हुए जल्द ही बस्तर पुलिस इसका तोड़ निकालने की बात कह रही है. लेकिन, एक बार फिर नक्सलियों के इस तरह के ब्लास्ट से 11 जवानों के घर उजड़ गए. इस साल की अब तक कि सबसे बड़ी नक्सली घटना को नक्सलियों ने अंजाम दिया.
विधायक पर भी किया हमला
गौरतलब है कि इसी महीने नक्सलियों ने बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी के भी काफिले पर हमला किया था. नक्सलियों को सूचना मिली थी कि काफिले में जवानों से भरे वाहन जा रहे हैं. इसके चलते नक्सलियों ने फायरिंग की. इस घटना के बाद से ही गर्मी के मौसम में नक्सलियों द्वारा चलाये जाने वाले टीसीओसी अभियान के दौरान नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने के फिराक में थे.
“ऑपरेशन जगदीश” में निकले थे जवान
25 अप्रैल को जब दंतेवाड़ा के एसपी को मुखबिर से सूचना मिली कि नक्सली संगठन का आठ लाख रुपये का ईनामी नक्सली जगदीश अरनपुर इलाके के आगे अलग-अलग क्षेत्रों में नक्सलियो के साथ बैठकें कर रहा है. कुछ दिनों से उसकी मौजूदगी इस इलाके में है. इस सूचना के बाद ही 150 से अधिक जवानों को “ऑपरेशन जगदीश” में भेजा गया. यह सभी जवान अलग-अलग वाहनों में अरनपुर तक पहुंचे और एक साथ ऑपरेशन में भी गए. जगदीश की टीम के साथ बाकायदा जवानों की मुठभेड़ भी हुई.
दो नक्सलियों को पकड़ा
मुठभेड़ के बाद जवानों ने 2 नक्सलियों को जिंदा पकड़ा. इसमें एक नक्सली घायल हो गया था. लेकिन, जगदीश भाग निकला. इसके बाद जवानों को लेने के लिए टेंपो ट्रैक्स वाहन से 10 जवान वापस दंतेवाड़ा लौट रहे थे. नक्सलियों ने पहले एक जवानों से भरे वाहन को जाने दिया. इसके बाद इसी मार्ग पर अगले वाहन में 10 जवानों को लेकर जा रहे टेंपो ट्रैक्स वाहन को जबरदस्त ब्लास्ट कर उड़ा दिया.