पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा पहलगाम में किए गए हमले और भारत के सटीक जवाबी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार अब रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में रक्षा बजट में 50,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जोड़ने का प्रस्ताव ला सकती है. यह फंड सप्लीमेंट्री बजट यानी अनुपूरक बजट के तहत उपलब्ध कराया जाएगा.
अगर यह प्रस्ताव मंजूरी पाता है, तो भारत का कुल रक्षा बजट पहली बार 7 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा. इससे पहले, 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6.81 लाख करोड़ रुपए का रक्षा बजट घोषित किया था, जो वित्त वर्ष 2024-25 के 6.22 लाख करोड़ की तुलना में 9.2 प्रतिशत अधिक था.

आधुनिक तकनीक और स्वदेशी हथियारों को बढ़ावा
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस अतिरिक्त बजट का इस्तेमाल रिसर्च एंड डेवलपमेंट, स्मार्ट हथियारों की खरीद, अत्याधुनिक गोला-बारूद और डिजिटल युद्ध तकनीक को मजबूत करने में किया जाएगा. साथ ही, तीनों सेनाओं के लिए आवश्यक तकनीकी उन्नयन पर भी यह राशि खर्च की जाएगी.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने पहली बार बिना अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघे टेक्नोलॉजी आधारित जवाबी हमला किया, जिसमें ड्रोन वॉरफेयर सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्शन सिस्टम, और लेयर्ड एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे देश में विकसित उपकरणों का उपयोग किया गया. इसे भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
डिफेंस सेक्टर में ‘मेक इन इंडिया’ का प्रभाव
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में दिए बयान में दोहराया कि भारत अब अपनी सुरक्षा को दूसरे देशों के भरोसे पर नहीं छोड़ सकता. उन्होंने कहा, “हमें अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा. यह केवल सामरिक नीति नहीं, बल्कि राष्ट्र की दीर्घकालिक सुरक्षा का आधार है.”
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब रक्षा बजट मात्र 2.29 लाख करोड़ रुपए था. बीते एक दशक में यह आंकड़ा तीन गुना से अधिक हो चुका है, जो सरकार की सुरक्षा प्राथमिकताओं और रक्षा निर्माण में स्वदेशीकरण की नीति को दर्शाता है.