बोतलबंद पानी को हमेशा घर से बाहर निकलते ही या सफर पर प्यास लगने पर खरीद कर पीते हैं. लेकिन अब आपको मिनरल वॉटर (mineral water) और बोतलबंद पानी को सुरक्षित और सेफ मानकर पीने से पहले सोचना पड़ सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने घोषणा की है कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और मिनरल वाटर को हाई रिस्क वाले खाद्य पदार्थों की लिस्ट में शामिल किया जाएगा. बोतलों में बिकने वाला पानी अब “हाई रिस्क वाले खाद्य पदार्थों की श्रेणी” में शामिल होगा, यह नया निर्णय है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से सर्टिफिकेट्स से जुड़े नियमों में बदलाव किए जाएंगे, इस श्रेणी में शामिल सामान केवल आवश्यक निरीक्षण और तीसरे पक्ष के ऑडिट के बाद उपलब्ध होंगे. अक्टूबर महीने में ऐसा हुआ था.
पैकेज्ड वॉटर, जो दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से बचाव करते हैं, बाजार में उपलब्ध हैं और लोगों ने इन्हें विश्वास करके खरीद लिया है. फैक्ट्री में पहले पैकेज्ड वॉटर को फिल्टर करके साफ किया जाता है, फिर इस पानी में कुछ आवश्यक मिनरल्स मिलाए जाते हैं. नवीन नियमों के अनुसार, पानी को सुरक्षित और पीने योग्य (safe drinking water) रखने के लिए FSSAI का सर्टिफिकेट और BIS मार्क प्राप्त करना होगा.
बोतलबंद पानी की गुणवत्ता को लेकर एक बहुत चौंकाने वाला और भयानक पता चला है. एफएसएसएआई (FSSAI), भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, ने बोतलबंद पानी और मिनरल वॉटर को हाई रिस्क फूड कैटेगरी में रखा है. केंद्र सरकार ने यह घोषणा की है कि पानी की शुद्धता और सुरक्षा मानकों को ग्राहकों के लिए सुधारने के लिए हर साल एफएसएसएआई ऑडिट करेगा. यह घोषणा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से सर्टिफिकेट प्राप्त करने की आवश्यक शर्त को हटाने के बाद की गई है. FSSAI के नए नियमों के अनुसार, अब सभी बोतलबंद पानी और मिनरल वाटर बचाने वाली कंपनियों को साल में एक बार अनिवार्य जांच करनी होगी. यह जांच नई कंपनियों को लाइसेंस देने या रजिस्ट्रेशन करने से पहले होगी, साथ ही एक बार साल में थर्ड पार्टी ऑडिट भी होगा.
बोतलबंद पानी सेहत के लिए कितना हानिकारक ?
विभिन्न शोधकर्ताओं का कहना है कि तेज धूप या गर्मी के संपर्क में आने पर बोतलबंद पानी जल्दी खराब हो जाता है. इससे प्लास्टिक बोतल में मौजूद पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) लीच हो जाता है, जो पानी की गुणवत्ता को खराब करता है. शरीर में ये रासायनिक पदार्थ जमा होकर कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और तंत्रिका रोगों का कारण बन सकते हैं. लंबे समय तक रखे गए बोतलबंद पानी में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं, खासकर अगर बोतल की सीलिंग ठीक से नहीं की गई है.
बोतलबंद पानी जल्दी खराब हो जाता है
शोधकर्ताओं काकहना है कि तेज धूप या गर्मी के संपर्क में आने पर बोतलबंद पानी जल्दी खराब हो जाता है, जिससे प्लास्टिक बोतल में मौजूद पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) लीच हो जाता है, जो पानी की गुणवत्ता को खराब करता है. इसकी एक और वजह यह है कि कई कंपनियां पानी की बोतलों को पैक करने के लिए उन्हीं मशीनों का का इस्तेमाल करती हैं जो सोडा या ठंडे ड्रिंक्स बनाने के लिए हैं. पानी की पैकेजिंग जल्दी खराब हो सकती है. एक अध्ययन ने पाया कि 36 कंपनी के पैकेज् ड पानी में से 33.3 प्रतिशत बोतलों का पानी पीने योग्य नहीं था और डब्ल् यूएचओ के मानकों के अनुरूप नहीं था. दिल्ली और गाजियाबाद में भी पैकेज् ड पानी में कॉपर की मात्रा अधिक थी, जो फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के मानकों के अनुरूप नहीं था.