Political Parties Got Election Donations: सुप्रीम कोर्ट द्व्रारा फरवरी 2024 में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के बाद भी माता लक्ष्मी राजनीतिक पार्टियों पर मेहरबान है। बीजेपी (BJP) पर तो माता लक्ष्मी की कुछ ज्यादा ही दया दृष्टि दिखा रही है। भाजपा को 2023-24 में लोगों, ट्रस्टों और कॉरपोरेट घरानों से 2,244 करोड़ रुपये चुनावी चंदे के रूप में मिले जो 2022-23 में मिले चंदे से तीन गुना अधिक हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से ज्यादा चुनावी चंदा (Election Donations) तो दक्षिण भारत की पार्टी बीआरएस (BRS) को मिला है। बीआरएस को 580 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। वहीं कांग्रेस (Congress) तीसरे नंबर पर रही जिसे 289 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, जबकि पिछले वर्ष उसे 79.9 करोड़ रुपये मिले थे। वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) को 2023-24 में 11.1 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, जो पिछले वर्ष 37.1 करोड़ रुपये से कम है।
इस साल 2023-24 में भाजपा को कांग्रेस से 776.82% ज़्यादा चंदा मिला है। भाजपा को 2023-24 में सबसे ज़्यादा 2,244 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। वहीं वहीं दूसरे नंबर पर तेलंगाना के पूर्व सीएम चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस रही, जिसे 580 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों को सबसे ज्यादा चंदा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट (Prudent Electoral Trust) से मिला है। भाजपा को 723 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 156 करोड़ रुपए दिए। सीधे शब्दों में कहें तो, 2023-24 में भाजपा का लगभग एक तिहाई और कांग्रेस का आधे से अधिक दान प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आया है।
चंदा देने में ये कंपनियां या ट्रस्ट सबसे आगे
2022-23 में प्रूडेंट को सबसे अधिक दान देने वाले संस्थाओं में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड, सीरम इंस्टीट्यूट, आर्सेलर मित्तल ग्रुप और भारती एयरटेल शामिल हैं। भाजपा और कांग्रेस ने अपने चंदे का जो हिसाब-किताब बताया है। उसमें इलेक्टोरल बॉन्ड शामिल नहीं हैं। नियमों के अनुसार राजनीतिक दलों को यह विवरण केवल अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में घोषित करना होता है, योगदान रिपोर्ट में नहीं। बता दें कि फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। इसके बाद से राजनीतिक दलों के लिए फंड का सबसे बड़ा जरिया डायरेक्ट पैसा या इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिला पैसा ही चंदे का जरिया है।
पिछले वर्ष की तुलना में भाजपा की आमदनी में 212% की वृद्धि
भाजपा ने 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में अपने योगदान में 212% की वृद्धि दर्ज की है। हालांकि यह असामान्य नहीं है क्योंकि यह आम चुनावों से पहले का साल था। 2019 के आम चुनाव से एक साल पहले 2018-19 में, भाजपा ने 742 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 146.8 करोड़ रुपये मिले थे। भाजपा को चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से 850 करोड़ रुपये मिले, जिनमें से 723 करोड़ रुपये प्रूडेंट से, 127 करोड़ रुपये ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट से और 17.2 लाख रुपये आइन्जीगार्टिंग इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिले।
लॉटरी किंग फ्यूचर गेमिंग से बीजेपी को भी मिला पैसा
कांग्रेस को ट्रस्ट के माध्यम से 156 करोड़ रुपये से अधिक मिले, हालांकि प्रूडेंट यहां एकमात्र दाता था। प्रूडेंट ने 2023-24 में बीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को क्रमशः 85 करोड़ रुपये और 62.5 करोड़ रुपये का योगदान दिया जिन्हें इस साल अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। आंध्र प्रदेश की मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी टीडीपी को प्रूडेंट से 33 करोड़ रुपये मिले। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा को 2023-24 में फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज (Future Gaming And Hotel Services) से 3 करोड़ रुपये चंदा मिला जो सैंटियागो मार्टिन की कंपनी है, जिसे भारत का ‘लॉटरी किंग’ भी कहा जाता है।
फ्यूचर गेमिंग (FUTURE GAMING) इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे बड़ा दानदाता था, जिसमें तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। मार्टिन कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की निगरानी में हैं।
क्षेत्रीय दलों को मिला इतना चंदा
वहीं कुछ क्षेत्रीय दलों ने 2023-24 की अपनी योगदान रिपोर्ट में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अपनी प्राप्तियों की स्वेच्छा से घोषणा की है। इनमें बीआरएस शामिल है, जिसे बॉन्ड में 495.5 करोड़ रुपये मिले है। वहीं डीएमके को 60 करोड़ रुपये मिले और वाईएसआर कांग्रेस को अब बंद हो चुके इस साधन के माध्यम से 121.5 करोड़ रुपये मिले है। जेएमएम को बॉन्ड के माध्यम से 11.5 करोड़ रुपये की मिले है। टीडीपी को 2023-24 में 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का चंदा मिला है। समाजवादी पार्टी ने पिछले वर्ष के 33 करोड़ रुपये की तुलना में 46.7 लाख रुपये का चंदा घोषित किया।
बीएसपी-बीजेडी ने नहीं की घोषणा
सीपीएम का चंदा 2022-23 में 6.1 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 7.6 करोड़ रुपये हो गया है। मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 14.8 लाख रुपये के चंदे की घोषणा की है। बीएसपी ने एक बार फिर 20,000 रुपये से ज़्यादा के किसी भी चंदे की घोषणा नहीं की है। बीजेडी ने भी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए किसी भी चंदे की घोषणा नहीं की है।