मध्यप्रदेश। इंदौर शहर में नकली PhonePe एप के जरिए ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस गिरोह के दो सदस्य धीरज गोयल और सुयश परमार को कनाड़िया पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों ने कबूल किया है कि वे अब तक 29 से ज्यादा लोगों को ठग चुके हैं, जिनमें दुकानदारों के अलावा पेट्रोल पंप कर्मचारी भी शामिल हैं।
फर्जी ई-वॉलेट से दुकानदार और पेट्रोल पंप बने शिकार
शिकायत पाटीदार फ्यूल स्टेशन के कर्मचारी नितिन पाटीदार ने की थी। 22 मई को आरोपियों ने पेट्रोल डलवाया और नकद पैसे की आवश्यकता जताई। उन्होंने खुद को अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन बताया और नकद के बदले फर्जी PhonePe एप से भुगतान दिखाकर नितिन से ₹6,000 नकद ले लिए। बाद में नितिन को पता चला कि ट्रांजेक्शन फर्जी था। जब इस बारे में उसने अपने दोस्त रोहित से बात की तो उसने भी ऐसी ही एक घटना के बारे में बताया, जिसमें उसने ₹4,500 की ठगी झेली थी।
सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की और स्कूटर नंबर के आधार पर आरोपियों तक पहुंच गई। टीआई सहर्ष यादव और उनकी टीम ने घरों की पहचान कर शनिवार को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया।
टेलीग्राम चैनल से खरीदा नकली PhonePe
पूछताछ में सामने आया कि आरोपियों ने टेलीग्राम चैनल से एक नकली PhonePe एप खरीदा था। इस एप की खासियत यह थी कि स्कैनर, नाम, अमाउंट, पिन और ट्रांजेक्शन ट्यून सभी असली PhonePe एप जैसे थे। ठग इसी का फायदा उठाकर नकली पेमेंट दिखाते थे और दुकानदारों को यकीन दिलाने के लिए एप की ट्रांजेक्शन हिस्ट्री भी दिखा देते थे।
इस गिरोह की ठगी का तरीका बेहद शातिराना था। वे रोजाना सुबह ठगी के लिए निकलते और दिनभर में कई दुकानों से नकद पैसे ऐंठकर लौटते थे। पुलिस अब इनसे जुड़ी और घटनाओं की भी जांच कर रही है।