नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार (30 अगस्त) को सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड, एनएचपीसी लिमिटेड, रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया.
रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया 22वां ‘नवरत्न’ बन गया है, इसके बाद सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया 23वां, एनएचपीसी 24वां और सतलुज जल विद्युत निगम 25वां ‘नवरत्न’ बन गया है.
शिमला स्थित एसजेवीएन एक सूचीबद्ध कंपनी है, जिसके 55% शेयर भारत सरकार के पास, 26.85% शेयर हिमाचल प्रदेश सरकार के पास और शेष 18.15% शेयर जनता के पास है.
विद्युत मंत्रालय के अधीन एनएचपीसी भारत में सबसे बड़ा जलविद्युत विकास संगठन है, जिसके पास जलविद्युत परियोजनाओं की अवधारणा से लेकर उन्हें चालू करने तक की कई तरह की गतिविधियाँ करने की क्षमता है. फरीदाबाद स्थित इस कंपनी ने सौर और पवन ऊर्जा विकास में भी विविधता लाई है.
रेलटेल रेलवे मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSU) है. सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी के लिए केंद्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है.
नवरत्न का दर्जा क्या है?
भारत सरकार शीर्ष-स्तरीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSU) को नवरत्न का दर्जा देती है. यह दर्जा संगठनों को केंद्र से अनुमोदन की आवश्यकता के बिना ₹1,000 करोड़ तक का पर्याप्त निवेश करने की अनुमति देता है.
इन कंपनियों को एक वर्ष के भीतर अपने नेटवर्थ का 30% तक निवेश करने की स्वतंत्रता है, जब तक कि यह ₹1,000 करोड़ से कम रहता है. वे संयुक्त उद्यम में भी शामिल हो सकते हैं, गठबंधन बना सकते हैं और विदेश में सहायक कंपनियाँ स्थापित कर सकते हैं.
किसी कंपनी को नवरत्न का दर्जा दिए जाने के लिए, उसे पहले से ही मिनीरत्न श्रेणी I का दर्जा प्राप्त होना चाहिए और CPSE की अनुसूची A के तहत सूचीबद्ध होना चाहिए.