Chandrayaan 3 Update: चंद्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. भारत पहला देश होगा, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. बुधवार को चंद्रयान-3 ने एक और पड़ाव पार कर लिया है. चंद्रयान-3 ने आखिरी बार अपने ऑर्बिट को सफलता पूर्वक घटाया है. ऑर्बिट को घटाने की यह अंतिम प्रक्रिया है. अभी चंद्रयान 150 Km x 177 Km की ऑर्बिट में है. 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग किया जाएगा.
बता दें कि 14 जुलाई को लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने 22 दिन का सफर पूरा कर 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा. तब यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, इसके लिए उसकी स्पीड कम की गई थी. स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए. ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी.
23 अगस्त को होगा लैंड
भारत पहला देश होगा, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. भारत ने साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर को उतारने का प्रयास किया था लेकिन आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी. 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद इसके ऑर्बिट को 5, 6, 9 और 14 अगस्त को चार बार घटाया जा चुका है. चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर लैंड करते ही भारत लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं.
क्या है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को श्री हरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा. चंद्रयान-3 अपने साथ एक लैंडर और एक रोवर लेकर गया है. लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा और सफल लैंडिंग होने के बाद रोवर चांद की सतह पर रसायनों की खोज करेगा. वैज्ञानिक पृथ्वी और चांद के रिश्तों को समझने की कोशिश करेंगे.