कांग्रेस-भाजपा का समीकरण बिगाड़ सकते हैं छजकां व निर्दलीय उम्मीदवार

खैरागढ़ विधानसभा उपचुाव के लिये 12 अप्रैल की सुबह वोटिंग

राजनांदगांव। लोकतंत्र में एक-एक वोट मूल्यवान होता है, यह सियासी लोग अच्छी तरह जानते और समझते हैं। जिले के खैरागढ विधानसभा उपचुनाव में तो बड़ी संख्या में वोटों का समीकरण बनते-बिगड़ते दिख रहा है। यहां भले ही कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर बताई जा रही है, लेकिन इनकी हार-जीत के समीकरणों को बिगाड़ सकने का माद्दा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ शिवसेना के प्रत्याशी सहित निर्दलीय अभ्यर्थी भी रखते हैं। मानना पड़ेगा कि खैरागढ़ उपचुनाव में ये भी काफी दमखम दिखाते हुए मतदाताओं को रिझा रहे हैं।
अब डोर टू डोर जनसंपर्क
कल शाम तक खैरागढ विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश भर के बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा था। आज वहां प्रत्याशियों सहित उनके समर्थक द्वार-द्वार जाकर अपने-अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं। अभी यह पता नहीं चल सका है कि कौन क्या प्रलोभन दे रहा है, लेकिन माना जा रहा है प्रलोभन देने का खेल अंदर ही अंदर शुरू हो गया है।
कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा दांव पर
बता दें कि खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा का सवाल कांग्रेस की यशोदा वर्मा और भाजपा के कोमल सिंह जंघेल का है जिन्हें जिताने के लिये कई मंत्री-पूर्व मंत्री, मुख्यमंत्री-पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, पूर्व सांसद तक एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके हैं। फिर नरेंद्र सोनी छजकां प्रत्याशी की प्रतिष्ठा का प्रश्न आता है, क्योंकि इस सीट पर छजकों के देवव्रत सिंह ही जीते थे। उनके देहावसान के बाद ही इस सीट पर उपचुनाव की स्थिति बनी है।

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