छत्तीसगढ़ : दुर्घटनाओं से साल भर में चार हजार से ज्यादा मौतें, 5वां सबसे बड़ा कारण सड़क हादसा

प्राकृतिक आपदाओं से भी ज्यादा मौत दुर्घटनाओं से हो रही है। अकेले छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में सड़क दुर्घटनाओं से चार हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। देश भर में यह संख्या डेढ़ लाख के करीब है। मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना है।

मरने वालों में 80 प्रतिशत संख्या युवाओं की होती है। इन दुर्घटनाओं से देश को प्रति वर्ष लगभग 80 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जो कि सकल विकास दर (जीडीपी) के दो प्रतिशत के बराबर है। यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नेतृत्व में चौबे कालोनी में आयोजित ग्रीष्मकालीन शिविर में यातायात के नियमों की जानकारी देेते हुए यातायात प्रशिक्षक टीके भोई ने बताई।

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि वाहनों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है। सड़कों पर जगह की कमी होने से आने वाले समय में यातायात की समस्या सबसे बड़ी समस्या होगी। यदि यही हाल रहा तो कुछ दिनों में सड़कों पर चलने के लिए जगह नहीं बचेगी। दुर्घटना से बचने के लिए यातायात के नियमों का पालन करना जरूरी है।

लापरवाही से दुर्घटना

प्रशिक्षक ने कहा कि ज्यादातर दुर्घटनाएं चालक की लापरवाही से होती हैं। यदि चालक अच्छा हो और वह यातायात के नियमों का पालन करता हो तो दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए हमें यातायात संकेतों का ज्ञान होना जरूरी है। उन्होंने विस्तार से बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से यातायात संकेतों का परिचय दिया तथा उनका पालन करने की सीख देते हुए कहा कि सड़क पार करने के लिए जेब्रा क्रासिंग का ही उपयोग करना चाहिए। आधी सड़क दाहिनी ओर देखते हुए और आधी सड़क बाएं देखते हुए पार करनी चाहिए।

लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ें

प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में ब्रह्माकुमारी नीलम दीदी ने कहा कि लक्ष्य निर्धारित करते हुए जीवन में कार्य करें। भरपूर आत्मविश्वास हो तो लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है। लक्ष्य पर टिके रहें, हर रोज लक्ष्य न बदलें।

अपने आपको श्रेष्ठ समझें

बच्चों में आत्मविश्वास जगाते हुए कहा कि जैसे भी हैं, चाहे लंबे, ठिगने हांे, गोरे हांे अथवा काले हांे, सदैव यह समझें कि आप बहुत अच्छे हैं। आप यूनिक हैं। आप जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है। कभी भी अपनी तुलना किसी अन्य व्यक्ति से नहीं करनी चाहिए। तुलना करने सेे हीन भावना आ जाती है। यह सोचें कि आप श्रेष्ठ हैं। अपनी उसी विशेषता के दम पर आगे बढ़ें।

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