चिदंबरम का बड़ा बयान, बोले- ऑपरेशन ब्लू स्टार ‘गलत तरीका’ था, इंदिरा गांधी ने इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई

अमृतसर में सिखों के सबसे पवित्र स्थल हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में साल 1984 में उग्रवादियों पर काबू पाने के लिए इंदिरा गांधी ने सैन्य कार्रवाई की परमिशन दी थी. इस ऑपरेशन के बाद इंदिरा गांधी की उनके ही सिख सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी. इसे लेकर कांग्रेस पर 80 के दशक से सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगता है. अब इस मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम का बड़ा बयान आया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए चलाया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार ‘गलत तरीका’ था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई. चिदंबरम ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में अपने संबोधन के दौरान ये बात कही. वे एक किताब ‘दे विल शूट यू, मैडम’ पर चर्चा कर रहे थे.

चिदंबरम बोले- ये फैसला अकेले इंदिरा का नहीं था

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, “किसी सैन्य अधिकारी का अपमान किए बिना मैं कहना चाहता हूं कि स्वर्ण मंदिर को वापस पाने का वह गलत तरीका था. कुछ साल बाद हमने बिना सेना के उसे वापस पाने का सही तरीका दिखाया. ब्लू स्टार गलत तरीका था और मैं मानता हूं कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने उस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई. ये सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सिविल सेवा का सामूहिक फैसला था.” आज के पंजाब की स्थिति के बारे में बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि खालिस्तान की मांग लगभग खत्म हो गई. अब पंजाब की असली समस्या आर्थिक परेशानी है.

6 महीने में दूसरा बड़ा बयान

ऑपरेशन ब्लू स्टार पर बीते 6 महीने में दूसरी बार ऐसा बड़ा बयान आया है. इससे पहले 4 मई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हुआ था. इसमें वे कहते नजर आए थे कि 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार गलती थी. जो भी गलतियां 80 के दशक में कांग्रेस से हुईं, मैं जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं.

क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?

सिखों के कट्टर धार्मिक समूह दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाले ने 1984 में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था. उसे हटाने के लिए जून, 1984 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था. इस दौरान 300-400 लोग मारे गए और 90 सैनिकों की मौत हुई. भिंडरवाले भी मारा गया. इस ऑपरेशन के बाद 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की उनके ही सिख सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी.

error: Content is protected !!