रायपुर। राजधानी में सर्व धर्मावलंबियों के संगठन सर्व आस्था मंच ने होली, ईस्टर व ईट मिलकर मनाया। हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन व ईसाई सभी गले मिले और एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर देश में समय की जरूरत को महसूस करते हुए राजधानीवासियों ने कहा कि अब लाइफ माइंडेड लोगों को सामने आने की जरूरत है। समय पर अगर चीजों को कंट्रोल नहीं किया गया तो इसकी सीधा असर बच्चों व युवाओं पर पड़ेगा। भावी पीढ़ी को देशहित का भान कराने की जरूरत है। इस मौके पर पुंछ में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
आर्च बिशप विक्टर हैनरी ठाकुर ने कहा कि सर्व आस्था मंच समय की जरूरत है। इसका विस्तार जिलों में किया जाना चाहिए। समाज में हम ही अच्छे हैं ऐसा नहीं है। हमसे भी अच्छे बहुत लोग हैं। केवल धर्म का ज्ञान रखने वाले नहीं बल्कि मानवता का ज्ञान रखने वालों को जोड़ा जाए।
भारतीयता, भाईचारे व मानवता को आगे लाने की जरूरत है। समाज के अच्छे लोगों को अब सामने आना ही होगा। अच्छी संस्थाओं को आपस में संवाद करना चाहिए। प्रेमशंकर गौटिया ने कहा कि आजकल समाज में सर्व मान्य नेता नजर नहीं आते। शांति धारण करने वालों को सोसायटी में आगे आना होगा। सच बोलने वाले बच्चों को स्कूलों में पुरस्कृत किया जाना चाहिए। हर इबादतगाह में सिर झुकाने वाला ही धार्मिक है।
नजर हुसैनी ने कहा कि लाइफ माइंडे पर्सनेस को इक्टठा किया जाए। उनको आगाह किया जाए कि समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव लोगों तक पहुंचाएं। सेमिनार, गैदरिंग व टॉक शो किए जाएं। हर अच्छे इंसान को स्वीकार करने पर ही समाज में गलत करने वालों को जवाब मिलेगा। मोबिन खान ने कहा कि झूठ पर काबू पा लेने पर ही व्यक्तित्व का उत्थान प्रारंभ होता है। तह समाज पर नियंत्रण होता है। तब अच्छा राष्ट्र बन सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर भी उसकी रौशनी फैलती है। सरजियस मिंज ने कहा कि हर विपत्ति के अवसर पर सर्व आस्था मंच को खड़ा होना चाहिए। राज्य के सभी धर्म गुरुओं को एक मंच पर लाकर प्रशासन को नियमानुसार कार्रवाई करने दबाव बनाना चाहिए। देश के कानून पर ठीक से अमल हो यह हम सबकी जिम्मेदारी है। एडवोकेट फैसल रिजवी ने कहा कि गलत को गलत कहने की हिम्मत सबमें होनी चाहिए। चुप रहना घातक हो सकता है। अब वक्त देखने व सुनने का नहीं कहने का है। सिराज भाई ने अच्छी व पॉजीटिव सोच वालों को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। मोहन सैमुएल,मोहन सैमुएल,, सिस्टर मर्सी व सिस्टर शीला, एडवोकेट आदित्य झा, शफीक अहमद, जॉन राजेश पॉल, मनमोहन सैलानी, भूपिंदर सिंह, गुरुमुख सिंह, फादर पी. सेबेस्टियन ने सुझाव दिया कि समान विचार धारा वाले पालकों को मंच के कार्यक्रमों में आमंत्रित कर उनके विचार सुनने चाहिए। मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली चीजें स्कूलों में प्रसारित की जानी चाहिए। सभी स्कूलों में लाइब्रेरी में सभी धर्मों के धर्म ग्रंथ रखे जाने चाहिए। स्कूलों में बच्चों व यंग जनरेशन के लिए प्रश्नावली तैयार कर उनके जवाब मांगकर उनके विचार जानने चाहिए।