New Parliament Building Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्षी पार्टियों का घमासान लगातार चल रहा है और 19 दलों ने उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार (Opposition Boycott Parliament Inauguration) करने का ऐलान किया है. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि इस सरकार (NDA Govt) के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है और समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखना ‘अशोभनीय कृत्य’ एवं लोकतंत्र पर सीधा हमला है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे, जबकि विपक्षी दल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) से उद्घाटन कराने की मांग कर रहे हैं.
विपक्ष के बहिष्कार पर सरकार ने दिया बयान
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह (New Parliament Building Inauguration) का 19 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार की घोषणा करने के बाद सरकार ने बयान जारी किया है. सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. विपक्षी दलों की घोषणा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
‘लोकसभा अध्यक्ष ने उद्घाटन के लिए किया आमंत्रित’
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बहिष्कार करना और गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं.’ जोशी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष संसद के संरक्षक हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है.
इन विपक्षी दलों ने की है बहिष्कार की घोषणा
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा की है.
19 विपक्षी दलों ने जारी किया था संयुक्त बयान
इससे पहले विपक्ष के 19 दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था, जिसमें कहा था, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उससे हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे.’ इन दलों ने बयान में आरोप लगाया, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल राष्ट्रपति का घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.’
विपक्षी दलों के मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि ‘संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे, जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं, क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं. संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है.’