इससे पहले अप्रैल महीने में थोक महंगाई 1.26% थी, जो 13 महीने का उच्चतम स्तर था. वहीं, इससे एक महीने पहले यानी मार्च 2024 में यह 0.53% थी. फरवरी में थोक महंगाई 0.20% और जनवरी में 0.27% थी.
मई में खुदरा महंगाई में गिरावट
इससे पहले कल यानी 12 जून को मई महीने के खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे. इसके अनुसार, मई में खुदरा महंगाई 4.75% रही. यह 12 महीने का सबसे निचला स्तर है. वहीं, एक महीने पहले यानी अप्रैल में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.83% पर आ गई थी.
आम आदमी पर WPI का असर
थोक महंगाई दर में लंबे समय तक बढ़ोतरी का सबसे ज़्यादा उत्पादक क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ता है. अगर थोक कीमतें लंबे समय तक ऊंची बनी रहती हैं, तो उत्पादक इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं. सरकार WPI को सिर्फ़ करों के ज़रिए ही नियंत्रित कर सकती है.
उदाहरण के लिए, कच्चे तेल में तेज़ उछाल की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी. हालांकि, सरकार करों में कटौती एक सीमा के भीतर ही कर सकती है. धातु, रसायन, प्लास्टिक, रबर जैसे फ़ैक्टरी से जुड़े सामान का WPI में ज़्यादा भार होता है.