“नोटबंदी की संवैधानिक वैधता” सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम,केंद्र और RBI से जवाब मांगा

 

नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र (central government)  के फैसले को चुनौती देने वाले सभी हस्तक्षेप करने वाले आवेदनों और नई याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है. 5 जजों के संविधान पीठ ने केंद्र और RBI से नोटबंदी से फैसले पर जवाब मांगा है. जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है कि क्या विमुद्रीकरण का मुद्दा अकादमिक है. केंद्र और आरबीआई (RBI) ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.

अदालत ने केंद्र और RBI से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले पर व्यापक हलफनामा दाखिल करने को कहा है. पीठ ने केंद्र के 7 नवंबर 2016 के RBI को लिखेपत्र, अगले दिन नोटबंदी के फैसले से संबंधित फाइलें तैयार रखने को कहा है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएश बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ मामले की सुनवाई की. यह संविधान पीठ 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी केंद्र सरकार के आठ नवंबर, 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.

याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक और संविधान पीठ किया था गठन 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की एक और संविधान पीठ का गठन किया था, जो पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी, जिनमें नोटबंदी के फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाएं भी शामिल हैं. बता दें कि 16 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता और अन्य प्रश्नों को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था.

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