छत्तीसगढ़ के रायपुर नगर निगम ने सफाई को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। शहर की सड़कों की रात्रिकालीन सफाई शुरू हो गई है। सफाई के दौरान दो दिन दुकानदारों को गंदगी नहीं फैलाने के लिए समझाया जाएगा। इसके बाद भी दुकानदार नहीं मानते हैं तो जुर्माना लगाकर तीन दिनों के लिए दुकान सील किया जाएगा। इसके बाद भी लापरवाही बरती जाती है तो दुकान का ट्रेड लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि महापौर एजाज ढेबर ने रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था का मंगलवार की रात शुभारंभ किया था। इस दौरान महापौर ने झाडू लगाकर और कचरे को डस्टबीन में डालकर सफाई कामगारों के साथ शहरवासियों को स्वच्छता का संदेश दिया था।
रात से दस से चार बजे तक सफाई का खाका तैयार
शहर के बाजार क्षेत्र में रात 10 बजे से लेकर सुबह चार बजे तक कि सफाई कार्य के लिए निगम प्रशासन ने खाका तैयार कर लिया है। अधिकारियों के मुताबिक, शहर के सभी 10 जोनों के 60 बाजार क्षेत्रों की सूची तैयार की गई है। 135 अधिकारियों को निगरानी का जिम्मा दिया गया है। सफाई सुपरवाइजरों, जोन स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ ही उप अभियंताओं और सहायक अभियंताओं की भी ड्यूटी लगाई गई है।
ट्रैफिक की समस्या का नहीं करना पड़ेगा सामना
ज्ञात हो कि रायपुर नगर निगम के अंतर्गत 70 वार्डों की साफ-सफाई का जिम्मा 3,275 सफाई कामगारों के कंधों पर है। निगम शहर को साफ- सुथरा बनाने के लिए प्रत्येक माह करीब एक करोड़ रुपये खर्च करता है। इसके बाद भी स्वच्छता रैकिंग में निगम नंबर एक पर नहीं आ पा रहा है। स्वच्छता में निगम कहां पीछे है, इसको देखने के लिए महापौर और सभी पार्षद इंदौर और चंडीगढ़ नगर निगम की सफाई व्यवस्था देखकर वापस लौटे हैं। इंदौर और चंडीगढ़ से सीखकर महापौर मंगलवार से रात्रि कालीन सफाई व्यवस्था शुरू करने का निर्णय लिया है।
ठेका प्रथा बंद करने की तैयारी
निगम के एक-एक वार्ड में 45 से 50 सफाई कामगारों की ड्यूटी लगाई जाती है, जो फिल्ड में नजर नहीं आते हैं। कामगारों की संख्या सिर्फ रजिस्टर में दर्ज की जाती है। महापौर ने अब ठेका प्रथा पर सफाई व्यवस्था को बंद करने की तैयारी में जुटे हैं। स्वच्छता रैकिंग में देशभर में लगातार पांच बार अपना परचम लहरा चुके इंदौर नगर निगम नियमित सफाई कामगार से आठ घंटे काम लेता है। ऐसे ही व्यवस्था रायपुर में भी लागू करने की तैयारी की जा रही है।