बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में 453 सर्पदंश के मामले सामने आए हैं. इनमें 443 का इलाज समय पर हुआ, जिससे उनकी जान बची, लेकिन 10 लोगों ने अपनी जान गवाई है. बस्तर, दंतेवाड़ा और बिजापुर में 3-3 मरीजों की मौत हुई है. वहीं नारायणपुर में 1 मरीज की मृत्यु हुई है. सर्पदंश के मामले सबसे अधिक बस्तर जिले में 118 मरीज व बीजापुर जिले में 149 मरीज देखने को मिला है.
ग्रामीणों को सावधानी बरतने की आवश्यकता
मेडिसीन विभाग के डॉ. जॉन मसीह ने बताया कि बारिश के दिनों में सर्पदंश के मरीज अस्पतालों में भर्ती होते हैं. यदि सर्पदंश से पीड़ित मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं तो मरीजों को एंटी स्नेक वेमन इंजेक्शन देने के बाद वे ठीक हो जाते हैं. बारिश के समय लोग खेतों में काम करते हैं और बाहर बरामदे में आकर सोने की आदत रहती है, जिसके बाद सांप उन्हें आकर कांट लेता है. ग्रामीणों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
सांप कांटने पर मरीज को समय पर पहुंचाएं अस्पताल
डॉ. जॉन ने बताया, बस्तर में सबसे अधिक कोबरा और करैत बाइट के केसेस सामने आ रहे हैं. यदि सांप के काटे गए स्थान में सूजन आ जाए या आंखों की पलकें बंद होना शुरू हो जाए. ये पोइजिनेश स्नैक बाइट के चिन्ह होते हैं. ऐसे समयों में मरीजों को समय पर अस्पताल जाने की आवश्यकता है. हॉस्पिटल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन अवेलेबल है, जिसे समय पर दिए जाने से मरीजों में काफी हद तक सुधार आता है. वे ठीक भी हो जाते हैं. वर्तमान में 4 मरीज डिमरापाल अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज जारी है.