‘बहू को वेतन से सास का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता’.. HC का आदेश

 बिलासपुर। हाई कोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति को मृतक कर्मचारी की संपत्ति नहीं माना जा सकता। इसलिए बहू को वेतन से सास का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसी के साथ कोर्ट ने बहू को सास का भरण-पोषण देने से मुक्त कर दिया।

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति मृतक की व्यक्तिगत सेवा के एवज में दी जाती है। कोर्ट ने परिवार न्यायालय, मनेंद्रगढ़ के उस फैसले को रद कर दिया, जिसमें बहू को हर महीने सास को 10 हजार रुपये देने का आदेश दिया गया था।

पिता की मौत पर बेटे को, बेटे की मौत पर पत्नी को अनुकंपा

  • एसईसीएल हसदेव के कर्मचारी भगवान दास की वर्ष 2000 में मृत्यु होने पर बड़े बेटे ओंकार को अनुकंपा नियुक्ति मिली, लेकिन कुछ वर्षों बाद उसकी भी मौत हो गई। उसकी पत्नी को केंद्रीय अस्पताल मनेंद्रगढ़ में अनुकंपा नियुक्ति दी गई।
  • इस बीच ओंकार की मां ने मनेंद्रगढ़ परिवार न्यायालय में वाद दायर कर बहू से 20 हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग की। सास ने कहा कि वह 68 वर्ष की है, बीमार रहती है और मात्र 800 रुपये पेंशन में गुजारा मुश्किल है। इस पर न्यायालय ने भरण-पोषण का आदेश दिया। इसे बहू ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

 

  • सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति मृतक की व्यक्तिगत सेवा के एवज में दी जाती है, न कि उसकी संपत्ति के रूप में। इसलिए इससे मिलने वाले वेतन को आधार बनाकर बहू से भरण-पोषण नहीं मांगा जा सकता।

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