ज्ञानवापी मस्ज़िद श्रृंगार गौरी मामले में फ़िलहाल फ़ैसला सुरक्षित रखा गया है. मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई के बाद फिलहाल सर्वे का काम जारी रहेगा. हालांकि आयुक्त वकील पर फैसला आना बाकी है लेकिन फिलहाल अजय मिश्रा सर्वे करेंगे. राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास समेत पांच महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त तौर से सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी.
ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में फैसला सुरक्षित
बता दें कि वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को शाम 4 बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का काम शुरू किया गया था. सर्वे के बाद दोनों पक्ष बाहर निकले तो एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे. वादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना था कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया. वहीं, प्रतिवादी पक्ष का कहना था कि मस्जिद की दीवारों को अंगुली से कुरेदने की कोशिश की गई. हिंदू पक्षकारों का कहना है कि पहले यहां मंदिर हुआ करता था.
क्या है हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों का दावा?
हिंदू पक्षकारों का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. यहां बजरंग बली की मूर्ति है, साथ ही अंदर गणेश जी की भी मूर्ति है. इसके अलावा दावा ये किया जा रहा है कि असली शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में छिपा है. जबकि अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद के सदस्य किसी प्राचीन कुएं और उसमें शिवलिंग के छिपे होने की धारणा को भी नकारते हैं. उधर, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला करार दिया है. बता दें कि राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त तौर से सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए.