राजनाथ ने कहा, ‘हमारा सपना भारत को जगत गुरु बनाना है। हम देश को शक्तिशाली, समृद्ध, ज्ञानी और मूल्यवान बनाना चाहते हैं। भारत इकलौता ऐसा देश है जिसने कभी किसी दूसरे देश पर हमला या उसकी एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया।’ रक्षा मंत्री के मुताबिक अब दुनिया भी मानती है कि भारत कभी ज्ञान और विज्ञान सहित कई क्षेत्रों में विश्व में अग्रणी था। उन्होंने कहा कि कई तथाकथित प्रगतिवादी हैं जो देश की सांस्कृतिक उत्कृष्टता को धूमिल करने समेत सवाल खड़े करते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आजादी के इस अमृत काल में, जब देश आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है, हमें समानता, सद्भाव और ज्ञान की महान परंपरा को याद करना चाहिए और एक साजिश के तहत हमारे अंदर भरे गए जहर को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने प्राचीन ऋषियों, वैज्ञानिकों और विद्वानों के नामों का हवाला देते हुए कहा कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी था, लेकिन सदियों की गुलामी के कारण कई लोग इस बात से अनजान थे।
उन्होंने कहा कि ‘शून्य’ की अवधारणा भारत द्वारा दी गई थी, श्रीधराचार्य ने द्विघात समीकरण दिया था, पाइथागोरस के 300 साल पहले पाइथागोरस प्रमेय बोधायन ने दिया था। उन्होंगे आगे बताया कि इस देश में ईसा मसीह से पहले सर्जरी की गई, कॉपरनिकस से पहले आर्यभट्ट ने पृथ्वी के आकार की व्याख्या करके बता दिया था कि यह अपनी धुरी पर घूमती है।
देश की आध्यात्मिक शक्ति के बारे में बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे लोग भी मुसीबत के समय शांति के लिए नैनीताल के पास कांची धाम में नीम करोली बाबा के पास गये। उन्होंने युवाओं से देश के हितों के खिलाफ किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने का संकल्प लेने का आह्वान किया। दोषी आतंकवादियों अफजल गुरु, याकूब मेमन और अमेरिका स्थित ट्विन टावरों के हमलावरों के नामों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है कि आतंकवाद का कारण गरीबी और शिक्षा की कमी है।