जिले में गंदा पानी पीने और मौसमी बीमारी के चलते गांव में डायरिया फैल रही है. एक माह के भीतर कोयलारी, गोपाल भावना, दैहानडीह सोनवाही गांवों में डायरिया का प्रकोप देखने को मिला है. इन गांवों से अब तक एक माह के भीतर 7 लोगों की जान गंवा चुकी है. कांग्रेसी ने नेता एवं जिला पंचायत सदस्य तुकाराम चंद्रवंशी का आरोप है कि बैगा बाहुल्य क्षेत्र में स्वास्थ्य कैंप के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है, सिर्फ प्रारंभिक उपचार किया जा रहा है और गंभीर मरीजों को कवर्धा या रायपुर रेफर कर रहे है. वहां भी इलाज के आभाव में मरीजों को जान गवानी पड़ रही है.
आदिवासी बाहुल्य गांवों में साफ पानी की व्यवस्था नहीं
व्यापक रूप से डायरिया फैलने के बाद भी बैगा आदिवासी झिरिया का पानी पीने को विवश हैं. हालांकि प्रशासन ने कुंए और झिरिया का पानी पीने के लिए प्रतिबंधित किया है, मगर आज पर्यंत तक गांवों में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. सरेंडा के एक मोहल्ले में टंकी से पानी पहुंचाने की वैकल्पिक व्यवस्था आनन-फानन में आज किया गया है, मगर वह टंकी को बिना साफ किए ही कीड़ा युक्त, मिट्टी, काई युक्त पानी पहुंचा रहे हैं.
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सरकार पर लगाया था नाकामी का आरोप
हाल ही में बैगा बाहुल्य क्षेत्र सोनवाही गांव में डायरिया से दो बैगा आदिवासियों की मौत हुई थी. इसकी सूचना पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल बरसते बारिश में सोनवाही पहुंचकर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की थी. इस दौरान भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि ग्राम सोनवाही में 5 बैगा आदिवासियों की उल्टी-दस्त से मौत को जिला प्रशासन छुपाने की कोशिश कर रहा है. प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता जिले के बैगा बाहुल्य क्षेत्र में स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग, पीएचई को पानी का सेंपल लेकर जांच किया जाना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार की नाकामी के चलते ग्राम सोनवाही में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की मौत हो रही है.