कोलकाता. केंद्र सरकार के बराबर महंगाई भत्ता (DA) बढ़ाने की अपनी मांग पर अड़े राज्य सरकार के कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने सोमवार को कहा कि सरकार यह नहीं दे पाएगी, भले ही प्रदर्शनकारी उनका ‘सिर काट’ दें. विधानसभा में विस्तारित बजट सत्र में बोलते हुए, ममता ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के वेतन ढांचे में अंतर का हवाला दिया और दावा किया कि राज्य में टीएमसी सरकार पहले से ही अपने कर्मचारियों को 105 प्रतिशत डीए दे रही है.
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार ममता बनर्जी ने कहा, ‘अगर तुम मुझे पसंद नहीं करते, तो मेरा सिर काट दो लेकिन इससे परे मैं कुछ नहीं कर सकती.’ ममता ने कहा, ‘आप (आंदोलनकारी सरकारी कर्मचारी) कितना चाहते हैं? आपको कितना संतुष्ट कोई करेगा? कृपया मेरा सिर काट दें और फिर उम्मीद है कि आप संतुष्ट होंगे… यदि आप मुझे पसंद नहीं करते हैं, तो मेरा सिर काट दें. लेकिन आपको यह नहीं मिलेगा मेरी ओर से.’
दरअसल राज्य सरकार के कर्मचारियों के विभिन्न संगठन, जिनमें संग्रामी जौथा मंच (संघर्ष के लिए एकजुट मंच) शामिल हैं, यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर डीए बढ़ाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. वहीं ममता बनर्जी सरकार ने इस साल के बजट में अपने कर्मचारियों के लिए डीए में तीन फीसदी की बढ़ोतरी की है. इसने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद 1 मार्च, 2023 से कर्मचारियों, पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों को उनके मूल वेतन के छह प्रतिशत की दर से डीए अनुदान की अधिसूचना भी जारी की.
उन्होंने केंद्र पर वित्तीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा, ‘राज्य सरकार जितना संभव है उतना दे रही है. डीए देना अनिवार्य नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान अलग-अलग हैं. राज्य सरकार के कर्मचारियों को अधिक छुट्टियां मिलती हैं. यह नहीं होगा. अधिक छुट्टियां पाने के लिए काम करें और अधिक डीए की मांग करें.’ इस मुद्दे पर अपनी सरकार के रुख के बचाव में बोलना जारी रखते हुए, ममता ने कहा, ‘क्या राज्य में रिजर्व बैंक है? हमें अभी तक केंद्र से एक लाख करोड़ रुपये नहीं मिले हैं. पैसा आसमान से नहीं गिरेगा. मैंने सरकारी कर्मचारियों को श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड जाने का मौका दिया है.