
धर्म डेस्क। हिंदू केलेंडर के आश्विन माह शुक्ल पक्ष में आने शारदीय नवरात्र के बाद विजयदशमी को रावण दहन की परंपरा है। हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था, जिससे पाप पर पुण्य की विजय हुई थी। इसी दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशहरे को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं, उनमें से एक मान्यता यह भी है कि इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना चाहिए।
(1).jpg)
दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना शुभ होता है, ऐसी हिंदू धर्म में मान्यता है। क्योंकि इस दिन नीलकंठ को भगवान शिव के रूप में देखा जाता है। ऐसे में विजयादशमी को भगवान शिव का दर्शन करना शुभ फलदायक माना जाता है। नीलकंठ के दर्शन को सौभाग्य, सुख, समृद्दि की प्राप्ति होती है।
नीलकंठ के दर्शन से जुड़ी बातें
- दशहरा (विजयादशमी) के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को कई परंपराओं में शुभ माना जाता है। विशेषकर उत्तर भारत और मध्य भारत में यह मान्यता काफी प्रचलित है।
- लोकमान्यता है कि दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना आने वाले साल में सौभाग्य, समृद्धि और विजय का सूचक है।
- नीलकंठ पक्षी का नाम भगवान शिव के नीलकंठ रूप से जुड़ा हुआ है। भगवान शिव ने समुद्र मंथन में विषपान करके अपने कंठ को नील कर लिया था, इसलिए इस पक्षी को शिव का प्रतीक माना जाता है।
- दशहरा असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। नीलकंठ पक्षी के दर्शन को इस विजय और नए शुभारंभ का संकेत माना जाता है।
- कई जगहों पर दशहरा की पूजा-अर्चना के बाद नीलकंठ दर्शन की विशेष प्रथा होती है। लोग मानते हैं कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- यह पक्षी अपनी सुंदरता और आकाश में ऊंची उड़ान के लिए जाना जाता है, जो जीवन में ऊंचाइयों और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
क्या है पौराणिक मान्यता
मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था, तब उनपर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था, क्योंकि रावण पिता की ओर से ब्राह्मण था और माता की ओर से से राक्षस। ऐसे में भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए कठोर तपस्या की। जिसके बाद उन्हें भगवान शिव ने उन्हें नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिए। इसीलिए दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन होना शुभ माना जाता है।
.jpg)
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक पहुना यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

(1).jpg)