देश के 50वें चीफ जस्टिस बने डीवाई चंद्रचूड़,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) देश के 50वें चीफ जस्टिस बन गए हैं और उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में डीवाई चंद्रचूड़ को शपथ दिलाई. पिछले 10 सालों में जस्टिस चंद्रचूड़ सीजेआई के रूप में नियुक्त होने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति है और न्याय तक आम नागरिकों की पहुंच को बढ़ावा देने के कोशिशों में आगे रहे हैं. हालांकि, सीजेआई के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल आसान नहीं होगा और उनके सामने न्यायपालिका से जुड़ी पांच बड़ी चुनौतियां होंगी.

कई बड़े मुद्दों के जजमेंट में शामिल रहे हैं जस्टिस चंद्रचूड़

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड लॉ स्कूल जैसे विश्वप्रसिद्ध संस्थानों में हुई है. जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा रहे हैं, जिनमें अयोध्या भूमि विवाद, समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने जैसे मामले शामिल हैं.

सीजेआई चंद्रचूड़ के सामने हैं ये 5 बड़ी चुनौतियां

पहली चुनौती- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने जजों की चयन प्रक्रिया को बेहतर बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम के सदस्यों को तीन महत्वपूर्ण मूल्यों का ध्यान हमेशा रखना होगा. न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी सबसे अहम है. इसके साथ ही न्यायपालिका के उच्च स्तर पर नियुक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी समेत विविधता को बढ़ावा देना भी जरूरी है. नियुक्तियों में वरिष्ठता की जगह योग्यता को आधार बनाना समय की मांग है.

दूसरी बड़ी चुनौती- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती ट्रेनिंग और क्षमता विकसित करना होगा. नई और आधुनिक पहल के जरिए  जजों के प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और शैक्षिक विकास को बेहतर बनाना जरूरी है. उन्हें कानून की ऊंची डिग्रियों जैसे एलएलएम और पीएचडी हासिल करने के अवसर मिलने चाहिए. न्यापालिका को विश्वविद्यालयों और कानून की शिक्षा देने वाली संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए.

तीसरी चुनौती- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने न्यायपालिका को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की चुनौती होगी ताकि हर व्यक्ति को इंसाफ हासिल करने में आसानी हो. ई-कोर्ट परियोजना के सशक्त बनाने और इसका विस्तार करने की जरूरत है ताकि बरसों तक लंबित मुकदमों का जल्दी निपटारा हो सके. निचली अदालतों को भी बेहतर तकनीक के इस्तेमाल से ज्यादा सक्षम बनाया जा सकता है.

चौथी चुनौती- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने नेशनल लॉयर्स एकेडमी (National Lawyers’ Academy) यानी एनएलए की स्थापना करने की चुनौती होगी ताकि भविष्य की जरूरतों के हिसाब से वकीलों को तैयार किया जा सके.

पांचवीं बड़ी चुनौती- देश में कानून की शिक्षा देने वाले संस्थानों की शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता में सुधार करना सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने पांचवीं बड़ी चुनौती होगी ताकि देश को अच्छे और सक्षम लॉ प्रोफेशनल मिल सकें.

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