छत्तीसगढ़ में बिजली आपूर्ति के बुनियादी ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इसका आधुनिकीकरण किया जाएगा। इसके लिए सरकार करीब 12 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। राज्य सरकार ने इसके लिए RDSS (रिपेम्प्ड) योजना को मंजूरी दी है। इसके साथ ही प्रस्तावित प्री पेड बिजली सेवा की स्मार्ट मीटरिंग को फिलहाल केंद्र सरकार के स्तर पर ही टाल दिया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक हर्ष गौतम ने बताया कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार 60% राशि उपलब्ध कराएगी। विद्युत वितरण कंपनी का योगदान 30% का होगा और शेष 10% का अंशदान राज्य सरकार को करना है। योजना को दो चरणों में पूरा करना है। पहले चरण में पहले चरण में बिजली लाइन एवं उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके लिए मरम्मत से लेकर नई बिजली लाइन बिछाने और ट्रांसफार्मर आदि के काम होने हैं।
योजना के दूसरे चरण में विद्युत प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं उन्नयन के कार्य किए जाएंगे।’ बताया जा रहा है, इस निर्णय से बिजली उपभोक्ताओं को बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही लाइन के अंतिम छोर तक बिजली उपलब्ध कराने में मदद होगी। अफसरों का कहना है कि केंद्र की आरडीएसएस (रिपेम्प्ड) योजना को 2024-25 तक पूरा कर लिया जाना है। इसकी वजह से वितरण क्षेत्र में बड़ा बदलाव हाेगा।
विद्युत वितरण कंपनी के एमडी हर्ष गौतम ने बताया, पिछले दिनों कंपनी ने 126 पावर ट्रांसफार्मर को इनहैंस किया है। इसका फायदा यह हुआ है कि लोड बैलेंस करने के लिए बिजली कटौती नहीं करनी पड़ी। रिकॉर्ड लोड दर्ज हुआ है। इस समय हमारे पास भरपूर बिजली है। बिजली खरीद भी नहीं रहे हैं। कवर्धा और राजनांदगांव के कई हिस्सो में पूरी लाइन बदल दी गई। उसके बाद से वहां लो वोल्टेज की समस्या खत्म हो गई।
बताया जा रहा है, आरडीएसएस (रिपेम्प्ड) में प्रस्तावित प्री पेड स्मार्ट मीटर एक बड़ी परियोजना है। इस पर 3500 से 4000 करोड़ रुपया खर्च होगा। एक मीटर के पीछे केंद्र सरकार 900 रुपए देगी, लेकिन यह सिस्टम इससे अधिक महंगा है। इंटरनेट विहीन क्षेत्रों में मीटर टू मीटर कम्यूनिकेशन नेटवर्किंग बड़ी समस्या है। राज्य सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि 20 लाख गरीब उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता से अलग कर दिया जाए। वे लोग औसतन 30 यूनिट ही खर्च कर रहे हैं। वहां इतना महंगा सिस्टम लगाने की जरूरत नहीं। अभी तक अनुमति नहीं मिली है। केंद्र सरकार ने इसे मार्च तक टाला था, तब से यह टलता जा रहा है।
रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है। इसके तहत केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र के आधारभूत ढांचे में बड़ा बदलाव करने जा रही है। पुरानी लाइन और उपकरणों को बदला जाना है अथवा उसे मरम्मत के बाद अपग्रेड किया जाना है। इसी में सभी गैर कृषि उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना भी जुड़ी हुई है। बुनियादी ढांचे में सुधार के बाद उसका नंबर आएगा।