भाजपा और कांग्रेस की सरकारें भी नहीं कर पाईं जो उसे ग्रामीणों ने झटके में कर डाला! जानें मामला

 

कवर्धा. ग्राम पंचायत कंझेंटा के निवासियों ने पूर्ण शराबबंदी का ऐसा निर्णय लिया है जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है. गांव में किसी के द्वारा शराब पीने, पिलाने या बेचते पाए जाने पर पंचायत व गांव वाले मिलकर उचित निर्णय लेंगे. फैसले से महिलाओं में खुशी का माहौल है.

दरअसल, शराब की आदत से सबसे ज्यादा महिलाएं ही परेशान रहती हैं. घर में बेटा, पति शराब पीकर आते थे. जिससे घर का माहौल तनावपूर्ण हो जाता था. मारपीट, गाली गलौच, वाद विवाद जैसी स्थिती बनती थी. लेकिन, पूर्ण शराबबंदी के फैसले ने राहत पहुंचाई है. ये नियम पूरे जिले व प्रदेश में भी लागू होना चाहिए.

गांववालों को यह फैसला क्यों लेना पड़ा? इस सवाल पर ग्रामीणों ने कहा, गांव में अ‌वैध शराब बिक्री बढ़ गई थी. लोग बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे. गांव में शराब पीनेवालों की संख्या की बढ़ गई थी. युवा वर्ग इसमें ज्यादा प्रभावित हो रहा था. घर का माहौल खराब होने लगा था. बच्चों के माता-पिता परेशान थे. ऐसी स्थितियों को देखते हुए ग्रामीणों ने मिलकर फैसला किया गया है. ये नियम आगे भी लागू रहेगा, चुनाव में भी शराब बांटने की शिकायत आती है, लेकिन किसी चुनाव में शराब नहीं बांटने दिया जाएगा.

एक ओर जहां प्रदेश में शराबबंदी को लेकर बहस छिड़ी हुई है. भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने खड़े हैं. एक दूसरे पर दोषारोपण किया जा रहा है. वहां, ग्राम कंझेटा के लोगों ने आदर्श प्रस्तुत किया है जिसकी सभी जगह सराहना हो रही है. सरकारों की हिम्मत तो पूर्ण शराबबंदी की नहीं है, लेकिन ग्रामीण शराबबंदी कर सरकार को यह बता दिया है कि अगर इच्छा शक्ति हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है.

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