हाल के समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम(EVM) की विश्वसनीयता पर उठे सवालों के बीच, भारत निर्वाचन आयोग(ECI) ने पुनः स्पष्ट किया है कि देश में उपयोग की जा रही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVM) पूरी तरह से सुरक्षित, विश्वसनीय और पारदर्शी हैं. चुनाव आयोग का यह भी कहना है कि भारतीय EVM प्रणाली की तुलना विदेशी संदर्भों से करना भ्रामक और अनुचित है. निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर मतदाताओं का विश्वास होना आवश्यक है. अन्य देशों में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणालियों की समस्याओं को भारत की प्रणाली से जोड़ना गलत और भ्रामक है.
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि देश में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनका हैक होना संभव नहीं है. भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, कुछ देशों में उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें विभिन्न प्रणालियों, उपकरणों और प्रक्रियाओं का संयोजन होती हैं, जिसमें इंटरनेट और अन्य निजी नेटवर्क शामिल हैं. आयोग के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत में प्रयुक्त ईवीएम अमेरिका और अन्य देशों की मशीनों से भिन्न हैं. उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय EVM को इंटरनेट की आवश्यकता नहीं होती और इसे किसी नेटवर्क या वाईफाई से नहीं जोड़ा जा सकता. आयोग ने बताया कि ये ईवीएम एक साधारण और सटीक कैलकुलेटर की तरह कार्य करती हैं. इसके अतिरिक्त, यह भी उल्लेख किया गया कि भारत में उपयोग की जाने वाली EVM सुप्रीम कोर्ट की कानूनी जांच में सफल रही हैं और विभिन्न चरणों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इनकी जांच की जाती है.
क्या कहा था तुलसी गबार्ड ने?
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशिका तुलसी गबार्ड ने एक सभा में कहा कि मंत्रिमंडल को यह जानकारी मिली है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें लंबे समय से हैकर्स के लिए संवेदनशील रही हैं. इन मशीनों के हैक होने की संभावनाओं को नकारा नहीं किया जा सकता, और इनमें वोटों के परिणामों में हेरफेर की संभावना भी बनी रहती है. इस स्थिति में, पूरे देश में पेपर बैलेट के उपयोग को अनिवार्य करने की आवश्यकता महसूस होती है, ताकि मतदाता अमेरिकी चुनावों की विश्वसनीयता पर विश्वास कर सकें.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की हैकिंग के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने अमेरिका की खुफिया एजेंसी की प्रमुख के बयान का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री मोदी और निर्वाचन आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर जांच की मांग की है. हालांकि, चुनाव आयोग के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि भारतीय ईवीएम को इंटरनेट या वाईफाई से जोड़ना संभव नहीं है, और इसे हैक करना भी असंभव है.
सुरजेवाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तुलसी गबार्ड के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि गबार्ड ने सार्वजनिक रूप से ईवीएम की हैकिंग और उसकी कमजोरियों के बारे में चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लिखा, “गबार्ड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव परिणामों में हेराफेरी के लिए ईवीएम का दुरुपयोग संभव है. यह सवाल उठता है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयोग इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? आयोग द्वारा गबार्ड के बयान को नकारने के लिए सूत्रों के आधार पर कहानियां क्यों बनाई जा रही हैं? प्रधानमंत्री, एनडीए सरकार और भाजपा इस मामले में मौन क्यों हैं? सुरजेवाला ने सुझाव दिया कि हमारे निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार को ईवीएम की हैकिंग और अन्य कमजोरियों के सभी पहलुओं को समझने के लिए तुलसी गबार्ड से संपर्क करना चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह यह जानकारी किस आधार पर प्रस्तुत कर रही हैं.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने प्रश्न उठाया कि क्या भारत के उच्चतम न्यायालय को इस मामले पर स्वतः संज्ञान नहीं लेना चाहिए और क्या इसे स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों की संवैधानिक लोकतंत्र की मूलभूत संरचना के रूप में गहन जांच नहीं करानी चाहिए?
कांग्रेस नेता के प्रश्नों के उत्तर देने से पहले, चुनाव आयोग के सूत्रों ने भारतीय ईवीएम को हैक करने से संबंधित सभी अटकलों को नकार दिया. सूत्रों के अनुसार, भारतीय ईवीएम मशीनें साधारण कैलकुलेटर की तरह कार्य करती हैं और इनका किसी भी इंटरनेट कनेक्शन से कोई संबंध नहीं होता, जिससे इन्हें हैक करना असंभव है.