रबी सीजन की बुवाई के समय छत्तीसगढ़ में यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक खादों का संकट पैदा हो गया है। खाद की आवक इतनी कम है कि समितियां किसानों की मांग पूरी नहीं कर पा रही हैं। राज्य सरकार का कहना है, केंद्र सरकार ने राज्य के कोटे में 45% की कटौती कर दी है। जो आवंटन मिला है वह भी समय से नहीं मिल रहे। अभी तक छत्तीसगढ़ में केवल 3 लाख 20 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद ही पहुंचा है।
अधिकारियों ने बताया, राज्य सरकार ने 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद मांगा था। केंद्र सरकार ने मात्र 4 लाख 11 हजार मीट्रिक टन उर्वरक दिये जाने की स्वीकृति दी। यह छत्तीसगढ़ की जरूरत का केवल 55% है। शेष 45% की कटौती कर ली गई। इसमें भी केवल 3 लाख 20 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक ही छत्तीसगढ़ में आया है।
छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ के मुताबिक राज्य को अब तक 1 लाख 17 हजार 522 मीट्रिक टन यूरिया मिला है। यह राज्य की जरूरत का केवल 34% है। इसी तरह डीएपी मात्र 28%, पोटाश 53%, एनपीके कॉम्प्लेक्स 43% मिल पाया है। अधिकारियों का कहना है, इसी की वजह से प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों की कमी की स्थिति बनी है। राज्य के किसानों को रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता के आधार पर सोसायटियों से खाद उपलब्ध कराई जा रही है।
सहकारिता क्षेत्र में भी कम खाद
अधिकारियों ने बताया, राज्य को चालू रबी सीजन के लिए सहकारिता क्षेत्र में मात्र 93 हजार 214 मीट्रिक टन रासायनिक खाद मिली है। पिछले साल इसी अवधि में एक लाख एक लाख 52 हजार 27 हजार मीट्रिक टन खाद मिल चुकी थी। यह खाद पिछले साल के मुकाबले 39% कम है। इसमें भी यूरिया मात्र 31 हजार 500 मीट्रिक टन मिला है। डीएपी 19 हजार434 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ हुआ है। यह पिछले साल की तुलना में 68% कम है। इस साल पोटाश मात्र 4 हजार191 मीट्रिक टन मिला है जाे पिछले साल से 75% कम है।
अब तक 15.76 लाख हेक्टेयर में ही बोवनी
कृषि विभाग ने इस साल रबी सीजन में 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बोवनी का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 15 लाख 76 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। यहां प्रमुख रूप से गर्मी का धान, चना, मटर, तिवड़ा, अलसी, सरसो, राई, सूर्यमुखी और बसंत का गन्ना लगाया जाता है।