नई दिल्ली: फीफा द्वारा अखिल भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन (AIFF) को सस्पेंड किए जाने के बाद से ही खेल जगत में हलचल है. इस सस्पेंशन की वजह से भारत में होने वाले अंडर-17 महिला वर्ल्डकप की मेजबानी भी खतरे में आ गई है और अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट, भारत सरकार एक्टिव मोड में आ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस सस्पेंशन को हटवाने में तेज़ी से एक्शन ले और मामले में अगुवाई करे.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में AIFF से जुड़े मामले में सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च अदालत को यह सूचित किया गया है कि खेल मंत्रालय फीफा के साथ लगातार संपर्क में है और मामले को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
सर्वोच्च अदालत में इस मामले की सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने की. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को जानकारी दी है कि खेल मंत्रालय की फीफा के साथ बैठक हुई है, कुछ बातें आगे बढ़ी हैं और अभी भी चर्चाएं हो रही हैं.
नवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश को टूर्नामेंट (अंडर-17 महिला वर्ल्डकप) का फायदा मिलना चाहिए. अभी सिर्फ और सिर्फ हमारा फोकस इस मामले को सुलझाने पर होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार को इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की सलाह दी है, साथ ही इस सुनवाई को अगले सोमवार (22 अगस्त) तक के लिए टाल दिया है.
भारत में फुटबॉल का सारा काम अखिल भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन (AIFF) देखता है. फीफा का कहना है कि अभी इसमें पूरी तरह से थर्ड पार्टी का दखल है, जबतक इसमें अपना संविधान लागू नहीं होता है तबतक फीफा भारत को सस्पेंड रखेगा.फीफा के सस्पेंशन की वजह से भारत में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले अंडर-17 महिला फुटबॉल वर्ल्डकप पर संशय के बादल हैं. क्योंकि फीफा ने अपने आदेश में लिखा है कि जबतक यह सस्पेंशन लागू रहेगा, तबतक इस टूर्नामेंट को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा.
AIFF में लंबे वक्त से चुनाव नहीं हुए हैं, प्रफुल्ल पटेल पिछले करीब 12 साल से इसके चेयरमैन हैं. सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद AIFF का संचालन एक कमेटी को दिया गया था और प्रफुल्ल पटेल को पद से हटाया गया था. हालांकि, फीफा इसे भी थर्ड पार्टी का दखल मानता है यही कारण है कि अब केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर चीज़ों को लिया है.