ITBP के 7 अधिकारियों पर FIR: CBI ने की कार्रवाई, जानिए क्या है पूरा मामला ?

FIR against ITBP Officers: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) के सात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है। इन सभी पर सरकारी स्टोर्स में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। इन सभी पर दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। आइए जानते है पूरा मामला क्या है।

पहला मामला

यह पूरा मामला साल 2017-18 से 2020-21 के बीच का है। CBI ने आईटीबीपी के सात अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और सरकारी स्टोर्स में हेराफेरी के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में कुल 1.8 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। पहले मामले में ITBP की शिकायत पर सीबीआई ने तत्कालीन कमांडेंट अनुप्रीत बोरकर, डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, मुकेश चंद मीना, पूरन राम, इंस्पेक्टर अनिल कुमार पांडे और ठेकेदार मदन सिंह राणा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर साल 2019-21 के दौरान सीमा चौकियों (BOPs) तक सरकारी सामान पहुंचाने की टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर करने का आरोप है।

शिकायत के मुताबिक 2020-21 में 1 हजार 198 रुपये प्रति जोड़ी की दर से 105 जोड़ी रबर बूट खरीदे जाने थे, लेकिन अफसर सस्ते जूते 499 रुपये में खरीद लाए। जिससे सरकार को 73,395 रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान जून 2020 में जब गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिक आमने-सामने थे, भूमि पेट्रोलिंग अभियान के लिए आठ कुलियों और तीन टट्टुओं की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन केवल सात कुलियों को ही रखा गया, जिससे 2.05 लाख रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई के मुताबिक, इन अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया। 1.54 करोड़ रुपये का गबन किया।

दूसरा मामला

वहीं दूसरा मामला 2017-18 और 2018-19 के दौरान सरकारी स्टोर्स में हेराफेरी से जुड़ा है। तत्कालीन कमांडेंट महेंद्र प्रताप, मुकेश चंद मीना, दीपक गोगोई और तीन ठेकेदारों मदन सिंह राणा, पूरन सिंह बिष्ट और कुंदन सिंह भंडारी पर 8 हजार लीटर सब्सिडी वाले केरोसिन तेल की हेराफेरी का आरोप है। CBI ने आरोप लगाया है कि इन अफसरों ने परिवहन दस्तावेजों में हेरफेर कर टट्टू या सिविल वाहन के बजाए कुली का उल्लेख किया। ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा सके। इस गड़बड़ी से सरकार को 22.07 लाख रुपये का नुकसान हुआ। फिलहाल केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो इन दोनों मामलों की गहन जांच पड़ताल में जुटी हुई है।

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