गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रतापसिंह राणे ने खुद को चुनावी दौड़ से हटा लिया है। कांग्रेस ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राणे को उनकी पारपंरिक सीट पोरियम से टिकट दिया था। चुनाव न लड़ने का उनका फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस संबंध में हालांकि राणे की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात की पुष्टि की कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी को चुनाव न लड़ने के अपने फैसले से अवगत कराया है।
राणे के करीबी सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पुत्रवधू देविया राणे से सीधा मुकाबला टालने के लिए चुनावी नहीं लड़ने का फैसला किया है। देविया राणे पोरियम से बतौर भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर रही हैं। छह बार गोवा के मुख्यमंत्री रह चुके 87 वर्षीय राणे लगातार 11 मर्तबा पोरियम से विधायक चुने जा चुके हैं।
कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रतापसिंह राणे ने पार्टी को सूचित किया है कि वह पोरियम से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद कांग्रेस ने उनके स्थान पर अन्य प्रत्याशी का चयन कर लिया है।’ भाजपा ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे की पत्नी देविया राणे को पोरियम से उम्मीदवार बनाया है। चर्चा थी कि प्रतापसिंह राणे पोरियम से उम्मीदवारी के लिए कांग्रेस को अपनी पत्नी विजया देवी का नाम सुझा सकते हैं। हालांकि, बृहस्पतिवार को पार्टी की ओर से जारी संशोधित सूची में रणजीत राणे को पोरियम से कांग्रेस उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
खबरों के मुताबिक, देविया राणे के नाम का ऐलान करने से पहले भाजपा ने प्रतापसिंह राणे को पोरियम से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी। गोवा में प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बतौर विधायक 50 साल पूरे करने पर प्रतापसिंह राणे को आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था।
राणे 1972 में महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के टिकट पर पोरियम से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2017 तक के सभी विधानसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़े। उनकी पुत्रवधू देविया राणे पहली बार गोवा विधानसभा चुनाव के मैदान में होंगी।