17 साल लड़ी न्याय की लड़ाई, 57 साल की उम्र में मिली नौकरी… ज्वाइनिंग से तीन दिन पहले मौत

 

 

दमोह। शासकीय नौकरी के लिए 17 वर्षों तक न्याय के लिए संघर्ष करने के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आवेदक को शिक्षक बनने का आदेश जारी कर दिया। 40 वर्ष की उम्र में न्यायालय की लड़ाई शुरू करते हुए 57 की उम्र में उनका सपना पूरा हुआ, लेकिन सपना पूरा होने के बाद उसका परिणाम आवेदक नहीं देख पाया।

आदेश जारी होने के तीन दिन पूर्व ही हृदय गति रुक जाने से आवेदक की मौत हो गई और परिवार में जो खुशी की लहर थी, वह मातम में बदल गई। दमोह जिले के मड़ियादो निवासी परमलाल कोरी एक भी दिन नौकरी नहीं कर पाए।

आर्थिक रूप से कमजोर परमलाल कोरी ने वर्ष 1988 में औपचारिक केत्तर विद्यालय शिवपुर में अनुदेशक के पद पर कार्य किया। तीन वर्ष कार्य करने के बाद यह विद्यालय बंद हो गए। कुछ अनुदेशकों, पर्यवेक्षकों को शिक्षा विभाग ने गुरुजी का दर्जा देकर शामिल कर लिया जबकि कुछ छूट गए। परमलाल ने 2008 में गुरुजी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की।

12 अप्रैल को हो गया निधन

अनुदेशक पद को आधार बताकर शिक्षा विभाग में नौकरी का हकदार बताकर उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली। न्यायालय ने जनवरी 2025 में परमलाल के हक में फैसला में दिया गया। परिवार खुश था कि सरकारी नौकरी मिलने से गरीबी दूर हो जाएगी और परिवार में खुशहाली आएगी, लेकिन 12 अप्रैल को परमलाल का हृदयाघात से निधन हो गया। इस घटना ने भाग्य को दुर्भाग्य में बदल दिया।

सबकी आंखें नम हो गईं

जिला समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र दमोह ने 15 अप्रैल को परमलाल को पत्र जारी किया कि वह अपने समस्त दस्तावेज जिला शिक्षा केंद्र दमोह लेकर आएं ताकि अभिलेख सत्यापन हो सके और उन्हें संविदा शिक्षा वर्ग तीन में नियुक्त किया जा सका। इसी दिन परमलाल कोरी का पुत्र शुभम पिता के दस्तावेजों के साथ पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर जिला शिक्षा केंद्र पहुंचा तो सबकी आंखें नम हो गईं।

 

 

 

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